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सफलता के लिए जरूरी नहीं हर काम में निपुण होना

हम में से कई लोग ऐसे हैं, जो अपनी असफलता के लिए हमेशा दूसरों को या यह कहें, हालात को जिम्मेवार ठहराते रहते हैं. आपने कई छात्रों को यह कहते सुना होगा कि मैं इस कारण जीवन में आगे नहीं बढ़ पाया, क्योंकि मेरा दाखिला देश के किसी अच्छे कॉलेज या स्कूल में नहीं हुआ […]

हम में से कई लोग ऐसे हैं, जो अपनी असफलता के लिए हमेशा दूसरों को या यह कहें, हालात को जिम्मेवार ठहराते रहते हैं. आपने कई छात्रों को यह कहते सुना होगा कि मैं इस कारण जीवन में आगे नहीं बढ़ पाया, क्योंकि मेरा दाखिला देश के किसी अच्छे कॉलेज या स्कूल में नहीं हुआ या मुङो कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है या मेरे शिक्षक अच्छे नहीं हैं या मेरे माता पिता मुङो अच्छी कोचिंग नहीं दिला सके, वरना मैं भी दूसरों की तरह सफल होता.

यह ठीक है कि आज के तकनीकी युग में हमें वांछित सफलता के लिए तकनीकी रूप से भी अपडेट रहना पड़ता है. परंतु, यदि हम किसी पक्ष में कमजोर हैं, तो भी सफलता हमारे इरादों के आड़े नहीं आयेगी. यदि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल छात्रों की बात करें, तो हम पायेंगे कि उनमें अधिकतर छात्र किसी ऐसे ग्रामीण स्कूल या कॉलेज के छात्र हैं, जहां सुविधाओं की बेहद कमी है. लेकिन वे कमियां उनकी सफलता के आड़े नहीं आयीं, क्योंकि उनके इरादे बुलंद थे. इस तथ्य को और गहराई से समझने के लिए मैं आपसे एक कहानी साझा करना चाहूंगा.

एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एक लड़के ने चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन दिया. जब साक्षात्कार के लिए उस लड़के को बुलाया गया, तो उसका कुछ प्रैक्टिकल टेस्ट लिया गया. उससे कहा गया, जाओ चाय लेकर आओ. वह बेहद करीने से ट्रे में चाय लेकर आ गया. फिर उसे कहा गया कि इस फाइल में यह पेपर पंच करके आओ. उसने बेहद तरीके से उस कागज को फाइल में लगा दिया. इन सभी टेस्ट में पास हो जाने के बाद साक्षात्कार बोर्ड के एक एक्सपर्ट ने पूछा, तुम्हारी इमेल आइडी क्या है? लड़के ने जवाब दिया, सर, मेरी कोई इमेल आइडी नहीं है. मेरे पास न तो कंप्यूटर है और न ही मुङो कंप्यूटर का कोई ज्ञान है. एक्सपर्ट ने कहा, तुमको पता है कि तुम विश्व स्तर की बेहद प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी के लिए साक्षात्कार दे रहे हो और तुम्हारे पास अपना इमेल आइडी तक नहीं है? फिर तो तुमको यहां नौकरी नहीं मिल सकती, क्योंकि बगैर इमेल आइडी वाले लोगों को यह कंपनी नहीं रखती.

लड़का बुङो मन से बाहर निकला. उसने सोचा, नौकरी तो मिली नहीं, अब क्या करूं. जेब टटोला तो केवल 500 रुपये बचे थे. उसने सोचा कुछ उपाय किया जाये. उसने उस 500 रुपये के टमाटर खरीद लिये और उनको बेचना शुरू किया. शाम तक उसके टमाटर बिक गये और उसे 200 रुपये का फायदा हुआ. अगले दिन उसने फिर टमाटर खरीदा और उसे बेचा, फिर उसे अगले दिन 300 रुपये का फायदा हुआ. धीरे-धीरे उसने इसे अपना रोजगार बना लिया. 10 वर्ष बीत गये. आज वही लड़का इंग्लैंड की सबसे बड़ी टोमेटो केचप की फैक्ट्री का मालिक है और उसकी फैक्ट्री से निकला हुआ टोमेटो केचप वहां के टॉप तीन ब्रांड में से एक है. उसकी सफलता को देख एक पत्रकार उसका इंटरव्यू लेने पहुंचा. घंटों बात करने के बाद उस पत्रकार ने उसका इमेल आइडी मांगा. उस लड़के ने वही जवाब दिया, मेरे पास अपना कोई इमेल आइडी नहीं है. पत्रकार हैरत में पड़ गया और पूछा, आपका इमेल आइडी नहीं है, क्या आपको पता नहीं कि आज के समय में इमेल कितनी जरूरी चीज है और यदि आपका इमेल आइडी होता, तो आप और कितनी तरक्की कर रहे होते? लड़के ने मुसकराते हुए जवाब दिया, यदि मेरा इमेल आइडी होता, तो मैं आज भी एक कंपनी में चपरासी की नौकरी कर रहा होता.

एक बार किसी पत्रकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से पूछा कि आपकी सफलता का राज क्या है, तो उन्होंने कहा कि मेरी सफलता इस सोच में निहित है कि यदि आप सचमुच जीवन में उम्मीद और सफलता का स्वाद लेना चाहते हैं, तो आप यह इंतजार मत कीजिये कि कब हमारा अच्छा वक्त आयेगा, बल्कि जो भी परिस्थिति आपके सामने हो, बाहर निकलिए और कुछ सकारात्मक करने का प्रयास कीजिये. उम्मीद और सफलता सामने खड़ी नजर आयेगी. यदि हम ओबामा की इस सोच को जीवन में उतार लें, तो हमें कभी निराश नहीं होना पड़ेगा.

आशीष आदर्श

कैरियर काउंसेलर

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