अहमदाबाद: अहमदाबाद की एक स्थानीय अदालत ने उस याचिका पर जवाब देने के लिए सीबीआई को 25 दिन का समय दिया, जिसमें गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह और पूर्व डीजीपी के आर कौशिक को 2004 के इशरत जहां फर्जी मुठभेड मामले में आरोपी बनाने की मांग की गई है.याचिका मुठभेड में मारे गए प्रनेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख के पिता गोपीनाथ पिल्लई की ओर से विशेष सीबीआई न्यायाधीश गीता गोपी के समक्ष दायर की गई. सीबीआई के अधिवक्ता ने आज अदालत के समक्ष पेश होते हुए याचिका पर विचार करने के लिए 30 दिन का समय मांगा.
इसका विरोध करते हुए पिल्लई के वकील शमशाद पठान ने अदालत से कहा, ‘‘जब सीबीआई के पास सभी आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ सबूत हैं तो जांच एजेंसी को समय की जरुरत क्यों है.’’ अधिवक्ता पठान ने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण समय हैं जब चुनाव हो रहा है और उनकी (शाह और कौशिक की) बिना रोकटोक आवाजाही से नुकसान हो सकता है.’’
इस पर सीबीआई अदालत ने पिल्लई के वकील से कहा कि वह उन लोगों को आरोपी नहीं कहें जब अभियोजन ने याचिका पर कोई निर्णय नहीं किया है. विशेष न्यायाधीश गीता गोपी ने यह भी कहा कि यदि इस मुद्दे पर इस समय सुनवायी की गई तो कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है. वरिष्ठ अधिवक्ता एस वी राजू अमित शाह के लिए पेश हुए जबकि जे आर दवे के आर कौशिक की ओर से अदालत में पेश हुए.
अभियोजन को सुनने के बाद अदालत ने सीबीआई को 21 अप्रैल तक का समय दिया. इससे पहले 14 मार्च को अदालत ने इस मामले में शाह, कौशिक और जांच एजेंसी सीबीआई को नोटिस जारी किये थे.दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 और 193 के तहत दायर याचिका में के आर कौशिक और अमित शाह को आरोपी बनाने और उनके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अवैध हिरासत और हत्या के लिए मामला चलाने की मांग की गई थी.
सीबीआई ने इस मामले में दायर अपने दो आरोपपत्रों में नरेंद्र मोदी के सहायक शाह और कौशिक को मामले में आरोपी नहीं बनाया था. गुजरात राज्य पुलिस अधिकारियों ने इशरत की उसके मित्र जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लई और उन दो अन्य के साथ हत्या कर दी थी जिनके बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तानी नागरिक थे.