देशप्रेम पैदा करने की कोशिश
गया : अब तक शहीद भगत सिंह के सपनों का भारत नहीं बन पाया है. भगत सिंह की लड़ाई सिर्फ सत्ता परिवर्तन की नहीं थी, बल्कि वह तो आर्थिक व सामाजिक आजादी चाहते थे. उक्त बातें प्रकाशन समिति के अध्यक्ष सह विधान पार्षद डॉ उपेंद्र प्रसाद ने कहीं. मौका था रविवार की शाम गांधी मैदान में शहीद सम्मान समिति की ओर से शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के 83वें शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम ‘एक शाम शहीदों के नाम’ का.
उन्होंने कहा कि मार्च, 1931 में अपनी एक अपील में भगत सिंह ने कहा था कि ‘भारत में संघर्ष, तब तक जारी रहेगा, जब तक मुट्ठी भर शोषक अपने स्वार्थो की पूर्ति के लिए सामान्य जनता का शोषण करते रहेंगे’. इस मौके पर राजभाषा के अध्यक्ष सह विधान पार्षद अनुज कुमार सिंह ने कहा कि वह समाजवादी व्यवस्था कायम करना चाहते थे. इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम (नाटक) आयोजित किये गये. इसके माध्यम से लोगों में देशप्रेम की भावना पैदा करने की कोशिश की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष कौशलेंद्र कुमार सिंह ने की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीआरपीएफ के कमांडेंट अरविंद त्रिपाठी थे.
इस अवसर पर विधायक कृष्णनंदन यादव, जिला पर्षद अध्यक्षा नीमा कुमारी, उपाध्यक्ष डॉ शीतल प्रसाद यादव, वैश्य महासभा के प्रांतीय सचिव राजकुमार प्रसाद उर्फ राजू यादव, युवा प्रयास के अध्यक्ष कौशलेंद्र कुमार सिंह, प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार सिंह, मो आसिफ जफर, डॉ शिव नारायण सिंह, वरीय अधिवक्ता मसूद मंजर, एआइएसएफ के राज्य अध्यक्ष परवेज आलम, ‘एक शाम शहीदों के नाम’ के संयोजक वसीम नैयर, मौर्या हाइट के निदेशक इकबाल हुसैन, कामरान आसिफ, खुर्शीद अख्तर, सतीश कुमार व आबिद हुसैन आदि मौजूद थे. इधर, उपस्थित लोगों ने दो प्रस्ताव पारित किये. इनमें संसद व विधान मंडल परिसर में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित करने व केंद्रीय कारा गया का नाम शहीद बैकुंठ शुक्ल के नाम पर नामकरण करना शामिल है.