बोकारो: क्लास दसवीं में सभी विद्यार्थियों के साथ एक दिन क्लास बैठ हुआ था. तभी मेरे दोस्तों में से किसी ने एक जोक मारा. सभी उस जोक पर लोट-पोट हो रहे थे. सभी जोर जोर से ठहाके भी लगा रहे थे, उसी समय लंच टाइम हो गया. सभी के साथ मैं भी मौज-मस्ती में डूबा हुआ था.
इस ठहाके की आवाज को सुनकर अचानक से प्रिंसिपल ने हमारी क्लास रूम में आये. वो जब भी राउंड में होते, उनके हाथों में एक छड़ी जरूर होती थी. यह छड़ी उनकी शान थी. उनके अचानक क्लास रूम में मौजूदगी से सन्नाटा छा गया. तभी एक शरारती दोस्त ने, जो मेरे ठीक पीछे खड़ा था. उसने उन पर कमेंट कर दिया. प्राचार्य पहले से गुस्से में थे, इस कमेंट ने आग में घी डालने का काम किया.
उन्होंने सभी विद्यार्थियों को सरसरी निगाह से देखी . पूरी क्लास का एक राउंड लगाकर, सीधे मेरे पास आकर खड़े हो गये. कहा : हाथ निकालो. हाथ निकालते ही मुङो दो चार छड़ी जड़ दी. मुङो उस कमेंट के लिए मार पड़ी, जो मैंने नहीं किया था. प्रिंसिपल के जाने के बाद मैं खूब रोया. लेकिन तब मुङो एहसास हुआ कि जौ के साथ घुन भी पिसता है.