अरविंद केजरीवाल की गुजरात यात्रा-3
।। ब्रजेश कुमार सिंह ।।
संपादक-गुजरात, एबीपी न्यूज
भद्रेश्वर से भचाऊ और मालिया मियाणा होते हुए अरविंद केजरीवाल देर शाम अहमदाबाद पहुंचे. शहर की सीमा पर पहुंच कर पुलिस को गच्च देकर गायब हो गये. दो घंटे बाद पुलिस को पता चला कि वे बोपल इलाके में कहीं ठहरे हैं. शुक्र वार सुबह केजरीवाल के दिल्ली जाने की बात थी. इससे पहले केजरीवाल ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए 16 सवाल दाग दिये. इन सवालों में राज्य में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य के मोरचे पर सरकार की विफलता के साथ भ्रष्टाचार की शिकायतें भी थीं. साथ ही उन्होंने सीधे गांधीनगर जाकर मोदी से मिल कर सवालों के जवाब मांगने का भी फैसला कर लिया.
पुलिसवाले बिना औपचारिक अप्वाइंटमेंट के मुख्यमंत्री के घर केजरीवाल को जाने देने के लिए तैयार नहीं हुए. केजरीवाल ने अपना फैसला तत्काल सुना डाला कि मोदी डर गये हैं. उनसे मिलना नहीं चाहते. इसके बाद वह एयरपोर्ट रवाना हो गये. दोपहर बाद ढाई बजे की फ्लाइट पकड़ ली, जयपुर के लिए. जयपुर और फिर वहां से केजरीवाल के दिल्ली पहुंचने के दौरान जो हुआ, वह भी कम रोचक नहीं था. अहमदाबाद से करीब चार बजे जयपुर पहुंचे, तो उनके लिए मर्सिडीज कार खड़ी थी.
आम आदमी के इस प्रतिनिधि को उस कार में बैठने में कोई नैतिक संकोच नहीं हुआ. एक अखबार ने यह कार्यक्र म फाइव स्टार होटल ललित में आयोजित किया था. कार्यक्र म खत्म कर जब छह बजे के करीब केजरीवाल जयपुर एयरपोर्ट पहुंचे, तो जो दिखा, उसकी तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. जयपुर में वे रेलीगेयर के उस चार्टर्ड विमान में सवार हुए, जो दिल्ली के एक और मीडिया समूह ने भाड़े पर उनके लिए ले रखा था. इसमें केजरीवाल, उनके सहायक विभव और मीडिया कंपनी के दो प्रतिनिधि बैठे. खबर पसरी, तो मीडिया में हंगामा मच गया. बहस तेज हो गयी कि मोदी और राहुल पर चार्टर्ड प्लेन के इस्तेमाल को लेकर हमला बोलनेवाले केजरीवाल अब किस नैतिकता की दुहाई देंगे.
अगले दिन केजरीवाल का फिर से अहमदाबाद आना हुआ. हवाई जहाज से. इस बार चार्टर्ड नहीं, इंडिगो की वही फ्लाइट थी, जिससे तीन दिन पहले अहमदबाद आये थे. एयरपोर्ट से निकल कर चमचमाती डस्टर कार में बैठने में उन्हें कोई परहेज न हुआ.
केजरीवाल ने साबरमती आश्रम से दौरे की शुरु आत की. माना जा रहा था कि वह पालडी इलाके के अपने ऑफिस में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे. इसकी जगह केजरीवाल ने साबरमती आश्रम के नजदीक ही एक होटल में अपने प्रमुख साथियों के साथ बैठक कर ली, जो उनकी ही तरह गुजरात के कुछ और हिस्सों का चक्कर लगा कर आये थे. बैठक में मोदी पर जुबानी हमले की रणनीति बनी कि आखिर कौन, किन मुद्दों पर मोदी की खिंचाई करेगा.
बैठक के बाद केजरीवाल अचानक गुजरात विद्यापीठ पहुंचे, जहां उनके सहयोगी कनुभाई कलसारिया की पुस्तक का विमोचन चल रहा था. विद्यापीठ की पुरानी नीति के मुताबिक, उसके प्रशासक अपने कैंपस में राजनीतिक दलों को कार्यक्र म की इजाजत नहीं देते हैं, लेकिन उनकी समझ में नहीं आया कि आम आदमी के मसीहा के आपात दौरे का क्या करें.
वहां से केजरीवाल पार्टी ऑफिस गये. पालाडी इलाके से बापूनगर तक केजरीवाल का रोड शो हुआ, जो बीच में नरेंद्र मोदी के विधानसभा क्षेत्र मणिनगर से भी गुजरा. रास्ते का चुनाव ऐसे किया गया था कि श्रमिक वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय बहुल इलाके बीच में पड़ें. पार्टी कार्यकर्ता तो उत्साह से साथ रहे, लेकिन शहर का आम आदमी सड़क किनारे खड़े होकर कौतूहल से केजरीवाल के काफिले को देखता रहा.
केजरीवाल की करीब 12 किलोमीटर लंबी यात्रा ढाई घंटे में पूरी हुई. अहमदाबाद पुलिस ने इस यात्रा को बिना विघ्न पूरा कराने के लिए शहर की सड़कों पर 500 से अधिक जवान लगा रखे थे. इस दौरान ट्रैफिक अस्त-व्यस्त रहा.
रास्ते में कहीं मोदी के समर्थन में नारे लगे, तो केजरीवाल ने कहा : इंट्रेस्टिंग. बाद में बापूनगर की रैली में 10 हजार कार्यकर्ताओं की भीड़ के सामने उन्होंने जम कर मोदी पर हमला बोला. जुबानी हमले के बीच मंच पर एक छोटा-सा कंकड़ कहीं से आया, तो केजरीवाल ने इसकी भी नोटिस ले ली. कहा कि शुक्र है कि गुजरात में उनका एनकाउंटर नहीं हुआ. इसी जोश में उन तीन आरटीआइ कार्यकर्ताओं को शहीद बता दिया, जो जीवित हैं. इस बीच, पुलिस सभा स्थल से मोदी के समर्थन में आवाज बुलंद करनेवालों को भगाने में लगी रही.
उन्होंने मीडिया के साथ भी अपने-पराये का हिसाब कर डाला. जो पत्रकार या चैनल उनकी नजरों में सकारात्मक है, उसे चार दिनों में कई बार कभी कार में, तो कभी जीप में बिठा कर इंटरव्यू दिया, बाकी से परहेज करते रहे. उनकी कार में आशीष खेतान नामक खोजी पत्रकार भी थे, जो अब नयी दिल्ली से उनकी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं. गुजरात यात्रा खेतान को भी फल-फूल गयी, दो मोदी विरोधियों का संबंध और प्रगाढ़ हो गया.
अरविंद केजरीवाल तो अपने सवाल पूछ कर और खुद ही उसका जवाब देकर दिल्ली चले गये, लेकिन सूरत की एक सामान्य महिला उनसे सवाल पूछ रही है.
भारतीबेन देसाई, जिसके अहमदाबाद के आयोजन नगर इलाके के बंगले एच2 में आम आदमी पार्टी का प्रदेश कार्यालय चलता है. महिला ने अपना घर खाली कराने के लिए पुलिस से गुहार लगायी. यही गुहार उस सोसाइटी के लोग भी कर रहे हैं. आखिर रिहायशी इलाके में राजनीतिक दल का कार्यालय कैसे चल सकता है. ‘आप’ के लोगों के लगातार आने-जाने से सोसाइटी परेशान है.
सुदूर कच्छ के केशवजी डेडिया भी उलझन में हैं. कच्छ में नर्मदा का पानी लेकर आने की मुहिम को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गये डेडिया को समझ नहीं आ रहा कि ‘आप’ के कार्यकर्ता के तौर पर वह मेधा पाटकर को कैसे समर्थन दे पायेंगे, जिन्हें आम आदमी पार्टी ने मुंबई उत्तर-पूर्व लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. केजरीवाल नर्मदा का पानी कच्छ तक पहुंचाने को लेकर मोदी पर हमला बोल रहे हैं, लेकिन डेडिया को पता है कि नर्मदा परियोजना में सबसे अधिक देरी पाटकर के विरोध की वजह से हुई. आम आदमी के स्वयंभू मसीहा क्या आम आदमी की उन उलझनों को सुलझा पायेंगे.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.) समाप्त