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ममता की रैली से अन्ना हजारे नदारद, अकेल संभाला मोरचा

नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार के विरोध में मुहिम छेड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आज यहां तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की रैली में नहीं पहुंचे. समझा जा रहा था कि ममता बनर्जी अन्ना हजारे के साथ मिलकर अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने की प्रयास कर रही हैं लेकिन आज का यह मंच […]

नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार के विरोध में मुहिम छेड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आज यहां तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की रैली में नहीं पहुंचे.

समझा जा रहा था कि ममता बनर्जी अन्ना हजारे के साथ मिलकर अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने की प्रयास कर रही हैं लेकिन आज का यह मंच बस तृणमूल कांंग्रेस की रैली साबित हुई.

अन्ना हजारे की अनुपस्थिति का कोई कारण नहीं बताया है. रैली में शामिल होने के लिए अन्ना कल रात यहां पहुंचे थे। लेकिन सूत्रों ने कहा कि वह अस्वस्थ्य हैं.

हजारे ने कल दिन में कहा था कि वह रैली में शिरकत करेंगे. वह अपने शिष्य रहे अरविंद केजरीवाल की पार्टी को दरकिनार करते हुए पहले ही तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर चुके हैं.

यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कोलकाता के एक इमाम ने धमकी दी थी कि यदि ममता बनर्जी ने हजारे के साथ मंच साझा किया तो वह ममता के प्रति अपना समर्थन वापस ले लेंगे.बाद में तृणमूल नेता मुकुल राय यहां महाराष्ट्र सदन गए और हजारे से मिले.

ममता बनर्जी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी हिंदी उतनी अच्छी नहीं है इसके लिए मुझे माफ करेंगे. चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाये जाने पर ममता ने कहा हमारी पार्टी गरीब पार्टी है चुनाव में लाखों रुपये खर्च नहीं कर सकती. जिसने लाखों रुपये कमाये है वही पार्टी लाखों खर्च करेगी. उन्होंने कहा सच्चर कमेटी की सिफारिशों को हमने अपने राज्य में लागू किया है. हमारी पार्टी की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है पार्टी जो वादा करती है उसे निभाती है.

गौरतलब है कि एक दिन पहले कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जि‍द के शाही ईमाम ने तृणमूल कांग्रेस पार्टी को हजारे के साथ दोस्ती तोड़ने की हिदायत दी है. शाही इमाम मौलाना नूर-उर-रहमान बरकती ने अन्ना हजारे की धर्मनिर्पेक्षता पर सवाल उठाते हुए ममता को उनके साथ दोस्ती रखने पर खबरदार किया है.

नूर-उर-रहमान बरकती ने कहा कि अन्ना हजारे आरएसएस की कठपुतली हैं और ममता बनर्जी का उनके साथ संबंध उनके अभि‍यान को नुकसान ही पहुंचाएगा. इससे निश्चित रूप से तृणमूल को मिल रहे मुस्लिमों के समर्थन पर भी असर पड़ेगा.ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी के रूप में समर्थन देने वाले बरकती ने कहा है, ‘उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए कि उनके लिए अन्ना हजारे के साथ मंच साझा करना उचित रहेगा या नहीं. उन्हें उन संकेतों की परवाह करनी होगी जो इसके जरिए राज्य के मुस्लिमों तक पहुंचेगी.’

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