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पांच किलो की मूली

कहते हैं न, जहां चाह, वहां राह. झारखंड के जमशेदपुर जिले के किसान ने पथरीली जमीन को हरियाली फसलों से भर कर इस लोकोक्ति को सच कर दिया. सपरा की बंजर और पथरीली भूमि पर खेती के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था, लेकिन वकील मंडल ने दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम के बल […]

कहते हैं न, जहां चाह, वहां राह. झारखंड के जमशेदपुर जिले के किसान ने पथरीली जमीन को हरियाली फसलों से भर कर इस लोकोक्ति को सच कर दिया. सपरा की बंजर और पथरीली भूमि पर खेती के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था, लेकिन वकील मंडल ने दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम के बल पर यहां की माटी को उर्वर बना दिया. अब इसी बंजर भूमि पर टमाटर, गाजर, मूली, बंदगोभी, गोभी, बैंगन आदि के पौधे लहलहा रहे हैं.

पांच किलो की मूली : बिना किसी वैज्ञानिक प्रणाली का सहारा लिए जैविक खाद का उपयोग कर वकील मंडल ने पांच-पांच किलो की मूली उपजायी है. पांच किलो की मूली क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. आसपास के किसान भी वकील मंडल द्वारा लगाई गयी मूली और दूसरी सब्जियों के बारे में उनसे जानकारी ले रहे हैं. बाहर से वकील मंडल के पास जानकारी लेने आनेवाले कुछ किसानों ने कहा कि बंजर भूमि को इतनी जल्दी उर्वर बना देना कोई खेल नहीं है.

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