पटना सिटी: गंगा पथ एक्सप्रेस वे में मिट्टी की जांच करने खाजेकलां घाट पहुंचे अभियंताओं को जमीन मालिकों का आक्रोश शुक्रवार को ङोलना पड़ा. स्थिति यह रही कि विरोध के कारण अभियंताओं व श्रमिकों को बैरंग लौटना पड़ा.
विरोध कर रहे जमीन मालिकों का कहना था कि सरकार पहले भूमि का नियमानुकूल अधिग्रहण कर मुआवजा दे. फिर निर्माण कार्य कराये. इस संबंध में जमीन मालिकों ने 27 सितंबर, 2013 को पटना उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की है.
दरअसल मामला यह है कि शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे के आसपास खाजेकलां घाट पर निर्माण कंपनी के अभियंता आलोक कुमार, संदीप कुमार व गोपाल कुमार श्रमिकों को लेकर गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए मिट्टी की जांच करने पहुंचे. इस बात की जानकारी जमीन मालिकों को लग गयी. वे लोग भी वहां पहुंचे और मिट्टी जांच का विरोध शुरू कर दिया. विरोध पर उतरे लोगों का कहना था कि बगैर सूचना के काम शुरू करने से पहले सरकार भूमि का नियमानुकूल अधिग्रहण कर मुआवजा दे. फिर निर्माण कार्य कराये क्योंकि सरकार की ओर से पहले ही जमीन के इस्तेमाल व किसी तरह के कार्य करने से रोक लगायी जा चुकी है.
दिया था नोटिस
निर्माण कार्य का विरोध कर रहे जमीन मालिकों में रामजीवन सिंह, पुनेश्वर राय व गोपाल प्रसाद समेत दर्जनों लोगों का कहना था कि कुछ दिन पहले सारण के भूमि उपसमहर्ता ने जमीन अधिग्रहण को लेकर 135 लोगों को जमीन के मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज सौंपने के लिए नोटिस दिया था. इसके बाद दस्तावेज भी उपलब्ध कराये गये, लेकिन नोटिस के आलोक में भूमि अधिग्रहण के मामला निष्पादन नहीं हो सका. इतना ही नहीं सरकार ने बोर्ड लगा कर जमीन पर कार्य करने से रोक लगा दी है. ऐसे में सरकार पहले भूमि का नियमानुकूल अधिग्रहण कर मुआवजा की राशि दे. फिर निर्माण कार्य कराये. ऐसा नहीं होने पर पटना उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका के आधार पर कार्य करेंगे, क्योंकि सरकार की मंशा जमीन अधिग्रहण व राशि देने की नहीं है.