मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में कोर्ट के लंबित मामलों के निष्पादन के लिए एक नयी पहल होने जा रही है. कुलपति डॉ (पंडित) प्रभाकर पलांडे ने कोर्ट से संबंधित संचिकाओं का निष्पादन सिंगल विंडो सिस्टम के तहत कराने का फैसला लिया है.
इसके तहत विवि के सभी अधिकारी व सेक्शन ऑफिसर एक साथ बैठक कर संचिकाओं को निष्पादित करेंगे. पहली बैठक आगामी रविवार को होगी. इसके लिए अधिकारियों व सेक्शन ऑफिसर की छुट्टियां रद्द कर दी गयी है. बैठक सुबह ग्यारह बजे शुरू होगी व सभी संचिकाओं के निष्पादन के बाद ही खत्म होगी. फिलहाल विवि से संबंधित 493 मामले कोर्ट में लंबित हैं.
विवि को कोर्ट में लंबित केसों के कारण समय-समय पर फजीहत का सामना करना पड़ता रहा है. समय पर कोर्ट नोटिस का जवाब नहीं देने के कारण कुलपति, कुलसचिव सहित अन्य अधिकारियों को बार-बार कोर्ट में हाजिर होना पड़ता है. विवि पर इसके लिए जुर्माना भी लगाया जा चुका है. कई बार तो अधिकारियों के कोर्ट में हाजिर होने की मजबूरी के कारण महत्वपूर्ण बैठकें टाली जा चुकी है. शैक्षणिक सत्र में देरी का भी यह एक महत्वपूर्ण कारण है. प्रभात खबर ने आठ फरवरी को प्रथम पेज पर ‘कैसे हो सुधार, जब अधिकारी दौड़े कोर्ट’ शीर्षक से खबर छाप कर इस मामले को उठाया था.
अधिकारियों का आदेश बेअसर
दर्ज याचिकाओं का जवाब तय समय के भीतर नहीं देने पर कई बार हाइकोर्ट विवि को फटकार लगी है. जुर्माना भी लगाया जा चुका है. कई बार इस कारण कुलपति, कुलसचिव सहित अन्य अधिकारियों को अलग-अलग व एक साथ कोर्ट में भी हाजिर होना पड़ा है. इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए पिछले वर्ष कुलसचिव डॉ विवेकानंद शुक्ला ने विवि के सभी अधिकारियों व सेक्शन ऑफिसर को पत्र लिख कर कोर्ट से संबंधित संचिकाओं का निष्पादन 24 घंटे के अंदर करने का निर्देश दिया था. इस संबंध में दो बार स्मार पत्र भी भेजा जा चुका है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.
2010 में 93 मामले दर्ज
फिलहाल विवि से संबंधित 493 मामले हाइकोर्ट में लंबित है. इसमें सबसे पुराना मामला सफल कुमार मिश्र बनाम कुलपति, बीआरए बिहार विवि 1987 का है. 2010 से 2013 के बीच विवि पर 253 मामले दर्ज हुए. सबसे ज्यादा 93 मामले में 2010 में दर्ज किये गये. 2011 में 73, 2012 में 50 व 2013 में 37 मामले दर्ज हुये. ये वो समय था, जब विवि के कुलपति के पद पर डॉ विमल कुमार काबिज थे. इसमें अधिकांश मामले प्रोन्नति, सेवांत लाभ व नियमों की अनदेखी से जुड़े हैं.
अवमानना के 117 मामले
विवि पर 117 मामले ऐसे हैं, जिसमें उस पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप है. इनमें से 56 मामलों में समय पर शपथ पत्र दायर किया गया. 61 मामले ऐसे हैं, जिसमें समय-सीमा बीत जाने के बावजूद कोई जवाब नहीं दिया गया. इसी कारण कुलपति, कुलसचिव सहित अधिकांश वरीय अधिकारियों को हाइकोर्ट में हाजिर होने को मजबूर होना पड़ रहा है. यह हाल तब है, जब विवि में कानूनी संचिकाओं के निपटारे के लिए अलग से लीगल सेक्शन बना है. यही नहीं हाइकोर्ट में वकील की भी नियुक्ति की गयी है, जिन्हें विवि से संबंधित केसों को देखना है.