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मशहूर साहित्यकार अमरकांत का निधन

इलाहाबाद: हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित रचनाकार अमरकांत का आज यहां लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 89 वर्ष के थे.पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि यहां अपने आवास में अमरकांत ने आज सुबह करीब नौ बजकर पैतालीस मिनट पर अंतिम सांस ली. वह 1989 में मेटाबोलिक बोन की बीमारी के बाद से ऐहतियात के […]

इलाहाबाद: हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित रचनाकार अमरकांत का आज यहां लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 89 वर्ष के थे.पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि यहां अपने आवास में अमरकांत ने आज सुबह करीब नौ बजकर पैतालीस मिनट पर अंतिम सांस ली. वह 1989 में मेटाबोलिक बोन की बीमारी के बाद से ऐहतियात के साथ रह रहे थे. उन्होंने बताया कि कल रात में वह आराम से परिजनों से बातचीत कर रहे थे और सुबह करीब 9.45 बजे वह निश्चेत हो गये. डाक्टर ने आकर बताया कि इनका निधन हो गया है.

उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है. उन्होंने बताया कि अमरकांत के बड़े बेटे और उनकी बेटी के आने के बाद उनका अंतिम संस्कार कल किया जायेगा.अमरकांत का जन्म 1 जुलाई 1925 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के ग्राम नगरा में हुआ था. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने से उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. बाद में उन्होंने पढ़ाई पूरी की और 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए की उपाधि प्राप्त की.

अमरकांत की प्रमुख रचनाओं में ‘जिंदगी और जोंक’, ‘देश के लोग’, ‘सूखा पत्ता’, ‘काले उजले दिन’, ‘सुन्नर पांडे की पतोहू’, ‘खुदीराम’ और ‘बीच की दीवार’ प्रमुख हैं. उन्हें देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ, व्यास सम्मान के अलावा भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि पर लिखे उनके उपन्यास ‘इन्हीं हथियारों से’ के लिए 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था.1948 में आगरा के दैनिक पत्र ‘सैनिक’ के संपादकीय विभाग में नौकरी के साथ उन्होंने पत्रकारिता के सफर की शुरुआत की थी. कई पत्र पत्रिकाओं में काम करने के बाद ‘मनोरमा’ के संपादकीय विभाग से अवकाश प्राप्त किया था.

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