नयी दिल्ली : मोबाइल कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि अब मोबाइल पर बात करना महंगा होगा. आनेवाले दिनों में ग्राहकों को मिलनेवाली विभिन्न छूट व रियायतों में कंपनियां कटौती करेंगी. दूरसंचार कंपनियों ने नीलामी में ऊंची बोली लगा कर स्पेक्ट्रम खरीदा है.इसी को कॉल रेट में संभावित वृद्धि का कारण बताया जा रहा है.
वोडाफोन इंडिया ने आज कहा कि दूसंचार उद्योग के लिए समय आ गया है कि जब उसे अपने आपको कारोबार में बनाये रखने के लिए हर साल शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता होगी.
वोडाफोन इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी मार्टिन पीटर्स ने कहा ‘‘18 साल तक हमने शुल्क घटाया, ऐसा हमेशा नहीं रह सकता. हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि जब लागत के आधार पर हर साल शुल्क बढ़ाया जाना चाहिये.’’ उन्होंने कहा कि हाल में समाप्त हुई नीलामी में खरीदे गए स्पेक्ट्रम का भुगतान कर्ज लेकर किया जाएगा और इस रिण के भुगतान के लिए या तो शुल्क बढ़ाना होगा या फिर परिचालकों को सेवा स्तर और निवेश में कटौती करनी पड़ेगी.
पीटर्स ने कहा ‘‘उद्योग अभी 2010 की नीलामी में की गई अति से नहीं उबरा है और इस नीलामी को अन्य के साथ मिला दिया जाए तो आशंका है कि अगले कुछ साल में उद्योग की स्थिति खराब रहेगी.’’ हाल में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार को 61,162 करोड़ रपए मिलेंगे जो सरकार के लक्ष्य से अधिक है. नीलामी में आठ दूरसंचार कंपनियों ने भाग लिया और प्रमुख बोलीकर्ताओं में वोडाफोन, भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और आइडिया सेल्यूलर रहे.
पीटर्स ने कहा ‘‘दुनिया भर में भारत में स्पेक्ट्रम सबसे मंहगा है. नीलामी में प्रति मेगाहर्ट्ज ज्यादा भुगतान करना पड़ता है और फिर स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रुप में पांच प्रतिशत राजस्व का भी भुगतान करना पड़ता है. इसका उद्योग पर हमेशा असर होगा.’’ अपना मुनाफा बरकरार रखने के लिए दूरसंचार परिचालक मुफ्त योजनाएं और रियायती समय में कटौती कर रहे हैं. विश्लेषकों का मानना है कि यह रझान बरकरार रहेगा क्योंकि उन्हें लगाई गई बोली का सरकार को भुगतान करना है.
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