प्राय: यह देखा गया है कि परु षों की तुलना में महिलाएं प्रबंधन और प्रशासन आदि के क्षेत्रों में कहीं आगे हैं. वैसे भी, देश के नेता और पार्टियां आज तक महिला उत्थान और सशक्तीकरण पर ही जोर देते रहे हैं. इसलिए क्या अब महिला प्रधानमंत्री की बारी नहीं है? इसके लिए कांग्रेस पार्टी से प्रियंका गांधी, भाजपा से सुषमा स्वराज और आम आदमी पार्टी से शाजिया इल्मी ही उपयुक्त लगती हैं.
सभी पार्टियों में आम आदमी पार्टी की लाइन पर ही चलने की एक अच्छी होड़ भी अब शुरू हो चुकी है, जो कि एक अच्छी बात है. दूसरी ओर अब तो पद से बड़ा प्रोग्राम ही बन चुका है. इसलिए अब इन सभी पार्टियों से महिला प्रधानमंत्री पर हर्ज ही क्या है? इस पर अब पार्टियां कितना कुछ करती हैं, यह तो वक्त ही बतायेगा. वैसे अभी तो पुरु षों को ही आगे लेकर चला जा रहा है.
वेद प्रकाश, ई-मेल से