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धूल फांक रहा शिक्षकों की कमी दूर करने का नुस्खा सरकार से नहीं मिला आदेश

जमशेदपुर: झारखंड एकेडमिक काउंसिल की मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं सिर पर हैं. परीक्षार्थियों के साथ-साथ जिला प्रशासन और शिक्षकों ने भी इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. तैयारियां पूरी हैं, लेकिन कोर्स पूरे नहीं हुए हैं, कारण हैं शिक्षक. राज्य में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए राष्ट्रपति शासन के दौरान एक अहम […]

जमशेदपुर: झारखंड एकेडमिक काउंसिल की मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं सिर पर हैं. परीक्षार्थियों के साथ-साथ जिला प्रशासन और शिक्षकों ने भी इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. तैयारियां पूरी हैं, लेकिन कोर्स पूरे नहीं हुए हैं, कारण हैं शिक्षक. राज्य में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए राष्ट्रपति शासन के दौरान एक अहम फैसला लिया गया था कि इसके लिए स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की बहाली की जायेगी.

संविदा के आधार पर नियुक्त उक्त शिक्षकों को प्रति क्लास 250 रुपये देने की योजना बनी थी. राज्यपाल के तत्कालीन सलाहकार के. विजय कुमार ने स्थानीय स्तर पर बहाली कर शिक्षकों की कमी पूरी होने तक उक्त शिक्षकों से बच्चों को पढ़वाने का आदेश दिया था, ताकि मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट बेहतर हो सके एवं सरकारी हाइ स्कूलों में भी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जा सके. लेकिन सरकारी उदासीनता और इच्छाशक्ति की कमी के कारण वह फैसला खटाई में पड़ गया है. संविदा के आधार पर शिक्षकों की बहाली के लिए विज्ञापन भी निकला तथा भावी शिक्षकों के आवेदन भी जमा लिये गये, जिसमें कुल 3264 आवेदन जमा हुए, लेकिन उसके बाद राज्य सरकार अब तक कोई फैसला नहीं ले सकी है.

कहां फंसा पेंच
जिला शिक्षा विभाग की ओर से आवेदन मंगाये जाने के बाद स्थानीय युवाओं या फिर रिटायर्ड शिक्षकों ने हाइ स्कूलों में पढ़ाने के लिए आवेदन किया, जिसकी प्रक्रिया पूरी होने पर राज्य सरकार को उसकी सूचना देते हुए तत्कालीन डीईओ अशोक कुमार शर्मा ने इस संबंध में दिशा-निर्देश देने का आग्रह भी सरकार से किया. लेकिन सरकार की ओर से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं आने के कारण अब तक आवेदनों की स्क्रूटनी तक नहीं हो पायी है. पूरे आवेदन विभाग में पड़े धूल फांक रहे हैं.

क्या थी योजना
संविदा के आधार पर कुल 600 शिक्षक बहाल किये जाने थे, जिनमें स्कूल के आसपास के लोगों को वरीयता दी जानी थी. रिटायर्ड शिक्षक भी स्कूल में बच्चों को पढ़ा सकते थे. इसमें किसी भी शिक्षक को एक दिन में पांच से ज्यादा क्लास नहीं देने का प्रावधान था, लेकिन आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद इंटरव्यू के जरिये उन्हें बहाल किया जाना था.

शिक्षक नहीं होने से मैट्रिक का रिजल्ट होगा प्रभावित : जिले के राजकीयकृत, अल्पसंख्यक, प्रोजेक्ट और उत्क्रमित विद्यालयों में करीब 600 शिक्षकों की कमी है. इसका असर इस बार मैट्रिक की परीक्षा के रिजल्ट पर पड़ सकता है. कोल्हान प्रमंडल ने 2012 की तुलना में 2013 में कुल रिजल्ट में 5 फीसदी की बढ़ोतरी की. 2012 में कोल्हान के रिजल्ट का प्रतिशत 63 फीसदी था जो 2013 में बढ़ कर 68 फीसदी हुआ. जबकि पूरे राज्य का रिजल्ट 73.15 फीसदी रहा. रिजल्ट बेहतर होने का कारण था मॉडल प्रश्न पत्रों के आधार पर तैयारी करवाना. लेकिन इस बार मॉडल प्रश्न पत्र से तैयारी की स्थिति संतोषजनक नहीं है.

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