देवघर: अवर न्यायाधीश प्रथम सुनील कुमार सिंह की अदालत में चल रहे विविध वाद संख्या 7/10 झारखंड सरकार बनाम हरदेव सिंह व अन्य की सुनवाई 12 फरवरी को होगी. मामला बहस के लिए चला रहा है.
यह मामला झारखंड सरकार की ओर से लाया गया है जिसमें 11 जुलाई 2007 के पारित 26.68 करोड़ के अवार्ड को निरस्त करने की याचना की गयी है. विपक्षी हरदेव सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोपराइटर व इनके सहयोगी को बनाया गया है. आवेदक की ओर से सरकारी अधिवक्ता (जीपी) बालेश्वर प्रसाद सिंह बहस करेंगे. इस मामले में विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट से एडवोकेट एके दे पक्ष रख रहे हैं. अदालत में दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने दावे जताये गये हैं. अवार्ड पथ निर्माण विभाग झारखंड सरकार के तत्कालीन इंजीनियर इन चीफ सीके सिंह द्वारा किया गया था. इस अवार्ड को सरकार ने चुनौती देते हुए मुकदमा किया है.
अवार्ड निरस्त करने का है मुकदमा
झारखंड सरकार की ओर से मध्यस्थता व सुलह अधिनियम 1996 की धारा 34 के तहत मुकदमा किया गया है. आवेदक ने विपक्षी के अवार्ड के दावों को सही नहीं माना है और भुगतान पर रोक लगाते हुए अवार्ड निरस्त करने का अनुरोध किया है. दाखिल वाद में कहा गया है कि जिले के सारठ प्रखंड में अजय नदी पर सिकटिया के पास सिकटिया बराज निर्माण हरदेव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कराया था.
काम पूर्ण करने के बाद सरकार से कंपनी के प्रोपराइटर हरदेव सिंह ने टेंडर की प्राक्कलित राशि 24 करोड़ 75 लाख 27 हजार 965 रुपये प्राप्त कर लिया. इसके बाद काम में देरी होने आदि का हवाला देते हुए 60 करोड़ रुपये का अलग से दावा ठोंका था जिसके मद्देनजर सीके सिंह इंजीनियर इन चीफ पथ निर्माण विभाग झारखंड सरकार ने 26 करोड़ 68 लाख 34 हजार 267 रुपये 92 पैसे का अवार्ड पारित कर दिया. अपने आदेश में यह भी कहा कि सरकार दो माह के अंदर अवार्ड की राशि हरदेव सिंह को मुहैया करा दे, अन्यथा 18 प्रतिशत की दर से सूद के साथ भुगतान करनी होगी. इसी अवार्ड के आदेश को चुनौती दी गयी है.