पैसरा व कंदनी को नक्सलियों ने बना रखा है अपना ठिकाना
मुंगेर : एक पखवारा में पुलिस द्वारा पैसरा और कंदनी जंगल में यह दूसरी बार कांबिंग ऑपरेशन चलाया गया है. जिसमें पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी. लेकिन पुलिस की इस सफलता से एक बात सामने आ रही है कि क्या नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की रणनीति तो नहीं बना रही?
नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए नक्सलियों के गढ़ भीमबांध में सीआरपीएफ कैंप खोला गया. साथ ही धरहरा के करेली और सराधी में भी पुलिस कैंप खोले गये. लेकिन इसके बाद भी नक्सली पैसरा व कंदनी में डेरा डाले हुए है और कैंप में अपनी सेना को तैयार कर रही है. पुलिस को भनक लगी तो 21 जनवरी को सीआरपीएफ, एसटीएफ, बीएमपी, जिला पुलिस ने पैसरा और कंदनी में संयुक्त कार्रवाई की. जंगल में जहां पुलिस ने नक्सली कैंप को ध्वस्त किया. वहीं रत्तू कोड़ा नामक नक्सली को गिरफ्तार किया.
पुलिस ने वहां से 38 डिटोनेटर, 100 किलो विस्फोटक, पुलिस वरदी, जेनेरेटर, 20 बंडल तार, एक गैस सिलेंडर, एक बेट्री, वाटर प्रूफ तिरपाल और नक्सली साहित्य बरामद किया था. इस कार्रवाई में पुलिस और नक्सलियों के बीच सैकड़ों चक्र गोलियां भी चली थी. लेकिन नक्सली भाग निकले. पुलिस के इस कार्रवाई से नक्सलियों के हौसले शायद पस्त नहीं हुए.
तभी तो 4 फरवरी को भी पैसरा और कंदनी जंगल में पुलिस व नक्सलियों के बीच काउंटर हुआ. पुलिस ने फिर यहां से एक इंसास, 200 कारतूस, 50 डिटोनेटर बरामद किया है. साथ ही तीन महिला समेत चार नक्सलियों को दबोचा. पुलिस का दावा है कि इस मुठभेड़ में दो नक्सली घायल हुए हैं. एक पखवारा में पुलिस की दो बड़ी कार्रवाई पैसरा और कंदनी में हुई. जिसमें बड़ी सफलता पुलिस को हाथ लगी. इससे साफ साबित होता है कि नक्सलियों ने कंदनी और पैसरा को अपना सेफ जोन बना रखा है. पुलिस दबिश के बावजूद आखिर क्यों नक्सलियों ने पैसरा और कंदनी को अपना शरणस्थली बनाये हुये है.
कहीं नक्सली किसी रणनीति के तहत तो ऐसा नहीं कर रहे. यह एक सवाल पुलिस प्रशासन को परेशान कर रही है. विदित हो कि 30 नवंबर 2013 को भी नक्सलियों ने जमालपुर रेलवे सुरंग के समीप इंटर सिटी ट्रेन पर हमला कर चार जवान की हत्या कर हथियार लूट लिये थे. जिस होकर नक्सली भागे उससे साबित होता है कि नक्सली पैसरा और कंदनी ही गये होंगे. बहरहाल चर्चा है कि आखिर क्यों नहीं पुलिस दबिश के बाद भी नक्सली पैसरा और कंदनी को छोड़ रहे हैं. कहीं नक्सली पुलिस को यहां आमंत्रित तो नहीं कर रही कि एक बड़ी घटना को अंजाम दे सके.