बोकारो: वर और वधू पक्ष के बीच मध्यस्थता कर जोड़िया बनाने वाले अगुआ अब आभिभावकों को नहीं भा रहे हैं. बबुआ चाहे नौकरीपेशा हो चाहे बेरोजगार, इंटरनेट से ही बिक रहे हैं. जी हां, विवाह में अब तक बड़ी भूमिका निभाने वाले अगुआ का क्रेज लगातार घट रहा है. पहले की शादियों में ज्यादातार शादियां अखबारों के मेट्रीमोनियल के माध्यम से या व्यक्तिगत संबंधों से तय हुई है.
भागदौड़ भरी जिंदगी में न तो मध्यस्थता कराने वाले को अब इतना समय मिलता है और न अब उनकी विश्वसनीयता ही रही. बुरा भला सुन कर विवाह कराने के बाद भी बदनामी ङोलने वाले अगुआ अब इस पुण्य काम से तौबा कर रहे हैं. पिछले साल जितनी भी शादियां हुईं, उनमें ज्यादातर शादियों में इंटरनेट या व्यक्तिगत परिचय की भूमिका रही है.
10 फीसदी शादियां लव मैरेज से अरेंज मैरेज में तब्दील : एक आकलन के अनुसार, पिछले पांच माह में बोकारो-चास में 150 से अधिक शादियां हुईं. इनमें 70 फीसदी शादियों में अगुओं की कोई भूमिका नहीं रही. 20 फीसदी शादियां व्यक्तिगत संबंधों के कारण हुईं, जबकि 10 फीसदी शादियां लव मैरेज से अरेंज मैरेंज में तब्दील हुई. बड़े होटल की डिमांड चरम पर रही.
वेडिंग डांस को लेकर लोग ज्यादा संजीदा : ‘बेटी बियाहे गंगा नहाये’ की तर्ज पर लड़की वालों की भी शादियों के मौके पर वेडिंग डांस का इस बार खुब क्रेज दिखा. बोकारो-चास के डांस स्कूलों मे कई लड़के-लड़कियां स्टेप के परफेक्शन के लिए खूब अभ्यास करते दिखे. बारात और रिसेप्शन के मौकों पर होने वाले वेडिंग डांस को लेकर लोग ज्यादा ही संजीदा हैं.