* सात फीसदी पर बैंक देगा लोन
नयी दिल्ली : नक्सल प्रभावित देश के सभी जिलों में कार्यरत महिला स्वयं सहायता समूह को अब बैंकों की ओर से सात फीसदी की दर पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा. यही नहीं, जो महिला समूह तय सीमा के अंदर बैंकों को ऋण वापस करते हैं. उनके लिए ब्याज दर की सीमा सात फीसदी से घट कर चार फीसदी होगी.
पहले चरण में कुल 150 नक्सल प्रभावित और आर्थिक रूप से अति पिछड़े जिलों को शामिल किया गया है. इन जिलों में वैसे जिले भी शामिल हैं, जो आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से राज्यों से जिलों का प्रस्ताव मांगा गया था. राज्यों की ओर से नक्सल प्रभावित जिलों का प्रस्ताव आया है. इसमें झारखंड के 17 तथा बिहार के 11 जिले शामिल हैं. 150 जिलों के अलावा बाकी बचे अन्य जिलों को भी आगामी पांच वर्षों में इस योजना में शामिल कर लिया जायेगा.
हालांकि, अन्य जिलों में महिला स्वयं सहायता समूह के लिए ब्याज दर पर छूट का प्रावधान है. इसमें महिला स्वयं सहायता समूह बैंकों के निर्धारित दर के आधार पर कर्ज ले सकते हैं, लेकिन सरकार द्वारा घोषित सात फीसदी से ज्यादा राशि पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय एनआरएलएम के तहत मिलनेवाली छूट की राशि सीधे महिला स्वयं सहायता समूह के खाते (बैंक अकाउंट) में जमा होगी.
यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह काम करेगी, जैसे इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद खाताधारक के खाते में राशि आ जाती है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि राष्ट्रीय आजीविका मिशन का लक्ष्य अगले पांच साल में 25 लाख महिला स्वयं सहायता समूह की संख्या को बढ़ा कर 60 लाख करना और समूह के सदस्यों की संख्या वर्तमान के तीन करोड़ से बढ़ा कर सात करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है. समूह के लिए चलायी जा रही योजना आजीविका का प्रदर्शन बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, ओडि़शा में बेहतर है.
* बिहार के 11 व झारखंड के 17 जिले हैं शामिल
झारखंड : बोकारो, चतरा, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, खूंटी, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, रांची, सरायकेला और सिमडेगा
बिहार : अरवल, औरंगाबाद, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमुर, मुंगेर, नवादा, रोहतास, पश्चिम चंपारण और सीतामढ़ी
गुजरात से आगे बिहार : रमेश
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि बिहार में महिला स्वयं सहायता समूह गुजरात की तुलना में ज्यादा सफल है. महिला स्वयं सहायता समूह के मामले में बिहार का प्रदर्शन काफी अच्छा है. यही कारण है कि इस योजना में बिहार, गुजरात से आगे है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैकों से लिये गये ऋण के मामले में बिहार ने वर्ष 2012-13 में जहां 222 करोड़ रुपये खर्च किया है. वहीं, गुजरात ने महज 120 करोड़ रुपये खर्च किया है. गुजरात का प्रदर्शन मध्य प्रदेश से भी खराब रहा है.
* मध्य प्रदेश ने भी 137 करोड़ रुपये समूह के लिए बैंकों से ऋण के रूप में लिया है.
जयराम ने कहा कि निश्चित रूप से इस दिशा में बिहार-झारखंड का प्रदर्शन अच्छा रहा है. जयराम ने बिहार में आजीविका मिशन की सफलता का श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी दिया.