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गांव-गांव खुले स्कूल, पर…..

सासाराम (नगर) : ‘बापू का यही था कहना, अनपढ़ बन कर कभी न रहना, माता-पिता करें न भूल, अपने बच्चे को भेजे स्कूल’ के स्लोगन को साकार करने के लिए सरकार ने गांव व टोलों से लेकर मुहल्लों तक स्कूल खोला गया. स्कूल तो खुले जरूर, परंतु उसमें आज सही सलामत पढ़ाई नहीं हो पा […]

सासाराम (नगर) : ‘बापू का यही था कहना, अनपढ़ बन कर कभी न रहना, माता-पिता करें न भूल, अपने बच्चे को भेजे स्कूल’ के स्लोगन को साकार करने के लिए सरकार ने गांव व टोलों से लेकर मुहल्लों तक स्कूल खोला गया. स्कूल तो खुले जरूर, परंतु उसमें आज सही सलामत पढ़ाई नहीं हो पा रही है. छात्रों के कल्याणार्थ चलायी जा रही योजनाओं की वजह से नामांकित बच्चों की तादाद उम्मीद से अधिक है. लाभ लेने के लिए अभिभावक एक से अधिक स्कूलों में नामांकन करा कर गलत तरीके से फायदा उठा रहे हैं.

नये व पुराने दोनों तरह के स्कूलों में शिक्षकों की विसंगति बरकरार है. कहीं पर बच्चे कम तो शिक्षक अधिक और किसी स्कूल में शिक्षक हैं तो पढ़ने वाले बच्चे कम हैं. वर्तमान में 30/1 की जगह 50/1 शिक्षक कार्यरत हैं. कहीं-कहीं तो दूसरे स्कूल के शिक्षक को प्रतिनियोजित कर पठन-पाठन का कार्य चल रहा है.

पांच वर्षो में खुले 505 प्राइमरी स्कूल : सर्वशिक्षा अभियान के तहत पिछले पांच वर्षो के दौरान जिले में 505 नये प्राइमरी स्कूल खोले गये हैं. इसमें से अधिकतर के पास न तो भूमि है और न ही अपना भवन. भूमि व भवन के अभाव में बगल के विद्यालय में वहां के बच्चे पढ़ रहे हैं. इन बच्चों का भविष्य भी प्रतिनियोजित किये गये शिक्षकों के सहारे संवर रहे हैं. जिले में 1339 प्राथमिक विद्यालय हैं.

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