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पत्थर तराश कर जीवन गढ़ता गांव

गांव में लगभग 300 परिवार, शिल्पकारी ही है इनकी जीविका दुमका : शिकारीपाड़ा के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ब्राrाणी नदी के किनारे बसा है पकदाहा गांव. पथरीली नदी में कल-कल बहते जल तथा शिल्पकारों की हथौड़ी-छेनी की खनखनाहट बरबस ही इस ओर ध्यान आकर्षित कर लेती है. बताते चले कि पकदाहा गांव पत्थर को तराश […]

गांव में लगभग 300 परिवार, शिल्पकारी ही है इनकी जीविका

दुमका : शिकारीपाड़ा के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ब्राrाणी नदी के किनारे बसा है पकदाहा गांव. पथरीली नदी में कल-कल बहते जल तथा शिल्पकारों की हथौड़ी-छेनी की खनखनाहट बरबस ही इस ओर ध्यान आकर्षित कर लेती है. बताते चले कि पकदाहा गांव पत्थर को तराश कर जीवन गढ़ रहा है. गांव में लगभग 300 परिवार बसे हुए हैं.

हर परिवार का मुख्य पेशा पत्थरों को तराश कर तथा शील, लोढ़ी, दीप, प्रदीप, जाता, तुलसी चबूतरा, नाद और पीलर की आकृति प्रदान करना है. काले, गुलाबी, सफेद और बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाये गये चीजों की खूबसुरती देखते ही बनता है. गुलाबी पत्थर से बने सामान की मांग स्थानीय इलाको सहित बाहर भी है. लिहाजा इस पत्थर को यहां के कारीगर चुनार और विंध्याचल से मंगवाते हैं और फिर उसे तराश कर शक्ल प्रदान करते हैं.

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