नयी दिल्ली : केंद्र ने आज उच्च न्यायालय को बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सहित आप नेताओं ने पार्टी को मिले चंदे के बारे में उसके द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करायी है.
गृह मंत्रालय की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजीव मेहरा ने अदालत को बताया, हमने 4 नवंबर 2013 के अपने पत्र में उनसे बैंक खातों के बारे में कुछ खास ब्यौरा और अन्य सूचना देने को कहा है. हमने उन्हें एक और पत्र भेजा था. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है. इस बीच, न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता एमएल शर्मा को उनके द्वारा दायर जनहित याचिका में आप को भी प्रतिवादी बनाने को कहा.
याचिका में मांग की गई है कि कानून का उल्लंघन कर कथित विदेशी चंदा हासिल करने के मामले में केजरीवाल सहित पार्टी के संस्थापक सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा, आप एक राजनीतिक दल है. आपने उसे एक पक्ष क्यों नहीं बनाया. सुनवाई की अगली तारीख 5 फरवरी को पक्षों का संशोधित आवेदन दायर कीजिए. याचिकाकर्ता ने केजरीवाल के अतिरिक्त आप नेताओं मनीष सिसौदिया, शांति भूषण और प्रशांत भूषण को अपनी जनहित याचिका में पक्ष बनाया है.
उच्च न्यायालय ने पूर्व में केंद्र से कहा था कि वह आप के गठन के बाद उसे मिले धन के स्रोत का पता लगाने के लिए नये सिरे से पार्टी के खातों को देखें. आदेश केंद्र द्वारा एक रिपोर्ट दायर किए जाने के बाद आया था जिसमें इसने कहा था कि टीम अन्ना की सिविल सोसाइटी के खातों का 2012 में एक आकलन किया गया था और याचिकाकर्ता द्वारा पूर्व में दायर की गई ऐसी एक याचिका पर पिछले साल उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ के समक्ष रिपोर्ट दायर की गई थी.
केंद्र ने पूर्व में अदालत के समक्ष कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे पर पहले ही जांच की जा चुकी है और सरकार ने मुद्दे पर पूर्व में एक रिपोर्ट तैयार की थी. शर्मा ने अपनी याचिका में केजरीवाल सहित कुछ नामों का उल्लेख किया था और मांग की थी कि प्रतिवादियों (आप सदस्यों) के खिलाफ विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने और न्याय के हित में अदालत की निगरानी में रोजाना मुकदमा कार्यवाही चलाने का निर्देश दिया जाए.