रांची: पलामू जिले के मोहम्मदगंज बराज से जुड़ी विभिन्न योजनाओं में हुई करीब 12 करोड़ रुपये की सरकारी राशि गबन के मामले में शामिल 12 अभियंताओं की तलाश निगरानी ने शुरू कर दी है. सभी अभियंता वर्तमान में कहां पदस्थापित हैं, किस इकाई में हैं और उनका वर्तमान और स्थायी पता क्या है, इसकी जानकारी एकत्र करने में निगरानी सरकार से सहयोग लेगी.
निगरानी के अफसरों ने इनके संबंध में जानकारी एकत्र करने के लिए जल संसाधन उप-सचिव से जानकारी लेने का निर्णय लिया है. जिन अभियंताओं की तलाश है, उनमें तत्कालीन कार्यपालक अभियंता नारायण खान, सहायक अभियंता कुमार सत्येंद्र नारायण सिंह, सहायक अभियंता मो जफरुद्दीन, सहायक अभियंता सुधीर कुमार, सहायक अभियंता चंद्रशेखर पांडेय, सहायक अभियंता अरुण कुमार, कनीय अभियंता अवधेश कुमार श्रीवास्तव, कनीय अभियंता अशोक कुमार द्विवेदी, कनीय अभियंता बिंदेश्वरी प्रसाद, कनीय अभियंता मुन्नी लाल, कनीय अभियंता कृष्णा धर सिंह, कनीय अभियंता बनारसी दास और काम करने वाली कंपनी मेसर्स आरडी डेवलपर्स, मेसर्स हरिओम इंटरप्राइजेज, मेसर्स सुमन इंजीनियरिंग वर्क्स, रांची मेसर्स दूबे कंस्ट्रक्शन, मेसर्स शेखर कंस्ट्रक्शन सहित अन्य शामिल है. सरकार के निर्देश पर मामले में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है.
जांच के दौरान निगरानी ने पाया कि नियमों को ताक पर रख कर इस काम को अंजाम दिया गया है. सबसे बड़ी बात यह थी कि विभागीय अधिकारी नारायण खान एक ही साथ मुख्य अभियंता अधीक्षण अभियंता और कार्यपालक अभियंता के पद पर रहे थे. अर्थात काम कराने से लेकर उसकी मॉनिटरिंग और अन्य कार्यो की जिम्मेवारी तक उनके पास थी. काम कराने से पूर्व अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किये बिना संवेदकों को 12 करोड़ का भुगतान कर दिया गया. काम के लिए तय दर से 40 प्रतिशत अधिक राशि भी खर्च की गयी.