नयी दिल्ली : भारत की आजादी में अभूतपूर्व योगदान देने वाले सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक शहर में 23 जनवरी 1897 को हुआ लेकिन उनकी मौत के संबंध में रहस्य करीब 70 वर्ष से बरकरार है जिसे सुलझाने के लिए गोपनीय दस्तावेजों को जारी करने की मांग तेज हो गई है. नेताजी से संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मुहिम चलाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता एवं लेखक अनुज धर ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार के दस्तावेज में यह बात सामने आई है कि उनकी मौत 1945 में ताइवान में हुई.
उन्होंने कहा कि लेकिन ताइवान की सरकारी रिकार्ड में 18 अगस्त 1945 को किसी विमान हादसे की घटना का उल्लेख नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सुभाष बोस की मृत्यु के सच से पर्दा नहीं उठाना चाहती है, इसलिए सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं कर रही है. (मिशन नेता एंड द सेक्रेसी)अभियान चलाने वाले आलोक चक्रवती ने कहा कि सरकार नेताजी के जीवन एवं उनके गायब होने से जुड़े दस्तावेजों को दबाए हुए है जिनकी संख्या करीब 150 है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह सार्वजनिक सम्पत्ति है. भारत के नागरिक ही इसके असली स्वामी हैं, न कि अधिकारी या राजनीतिक नेता.’’चक्रवर्ती ने मांग की कि सरकार को नेताजी की गुमशुदगी से जुड़े सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि उनकी मौत से जुड़े कयासों पर विराम लगाया जा सके. नेताजी के परिवार के प्रवक्ता चंद्र कुमार बोस ने हाल ही में कहा था, ‘‘हम नहीं मानते कि उनकी मौत 18 अगस्त 1945 को हुई. इस संबंध में परिस्थितिजन्य साक्ष्य है जिससे साबित किया जा सके कि 1945 में इस दिन के बाद वह रुस में थे.’’
बोस ने कहा था, ‘‘हमने उनके जन्म और मृत्यु से जुड़े दिवस को गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिकीकरण दिवस के रुप में मनाना शुरु किया है ताकि सरकार पर गुप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के लिए दबाव बनाया जा सके.’’कलकता उच्च न्यायालय ने नेताजी की मौत से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल में इस मामले में अलग पीठ गठित करके सुनवाई करने का निर्देश दिया है. सुभाष चंद्र बोस की मौत के बारे में कई मान्यताएं सामने आई हैं जिनमें से एक में कहा गया है कि बोस 1945 के बाद भी जीवित थे और वे इस दौरान रुस में कैद थे.
हालांकि, कुछ समय पहले नेताजी की पुत्री अनीता बोस ने कहा था कि उन्हें ऐसा लगता है कि उनके पिता की मौत विमान दुर्घटना में ही हुई. अगर विमान हादसे के बाद वह कहीं छिपे होते, तब परिवार से सम्पर्क करने की कोशिश जरुरत करते और आजादी के बाद देश लौट आते.