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मुखिया जी का लैपटॉप है डाटा बैंक

वीरेंद्र कुमार सिंहएक पुरुष के शिक्षित होने से एक घर शिक्षित होता है. लेकिन एक महिला के शिक्षित होने से पूरा समाज शिक्षित होता है. इसलिए बच्चियों की शिक्षा पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है. विशेष कर गांव के मामले में यह अधिक महत्वपूर्ण है. पंचायत चुनाव में राज्य में महिला सशक्तीकरण के एक […]

वीरेंद्र कुमार सिंह
एक पुरुष के शिक्षित होने से एक घर शिक्षित होता है. लेकिन एक महिला के शिक्षित होने से पूरा समाज शिक्षित होता है. इसलिए बच्चियों की शिक्षा पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है. विशेष कर गांव के मामले में यह अधिक महत्वपूर्ण है. पंचायत चुनाव में राज्य में महिला सशक्तीकरण के एक नये अध्याय की शुरुआत की है. अगर पंचायत चुनाव में निर्वाचित महिलाएं सक्रिय होकर कार्य करेंगी तो इससे राज्य का विकास तेजी से होगा.

यही सोच है सिंहभूम पूर्वी जिला अंतर्गत पोटका प्रखंड की एक मुखिया का. ये पोड़ाडीहा पंचायत की मुखिया हैं. इनका नाम सुश्री रूपा सरदार है. ये अपने गांव मुदासाई में सबसे अधिक पढ़ी-लिखी हैं. अर्थशास्त्र में मुखिया जी को-ऑपरेटिव कॉलेज से पीजी कर रही हैं. पंचायत चुनाव के समय ये ग्रेजुएशन के प्रथम वर्ष में थीं. पंचायत कार्यो के साथ-साथ इन्होंने अध्ययन भी चालू रखा.

मुखिया रूपा सरदार के पिताजी झारखंड आर्म्स पुलिस में हैं तथा चाचाजी सीआइएसएफ में हैं. उन्होंने अभी शादी नहीं की है. इनकी सोच है, पढ़-लिख कर अच्छी प्रोफेसर बनने की. ताकि समाज में शिक्षा के दीप को वे जला सकें. उन्होंने जेपीएससी की भी परीक्षा दी है. कंप्यूटर का भी विभिन्न कोर्स किया है. इनका जितना ध्यान पढ़ाई पर है, उतना ही ध्यान पंचायत की सेवा पर भी है. पंचायत के मामलों में ये निर्णय स्वयं लेती हैं. ये किसी पर निर्भर नहीं होना चाहती हैं. उन्हें आत्मविश्वास है कि वे जो भी करेंगी सही करेंगी.

मुखिया रूपा सरदार अकसर लैपटॉप पर ही रहती हैं. वे अपनी सभी कार्यो को लैपटॉप में रिकार्ड करती हैं. वे कहती हैं कि 32 वर्षो बाद जब चुनाव हुआ तब मैं चुनाव जीती, तब मुङो भीतर से बहुत भय सता रहा था. लेकिन अब वह भय खत्म हो गया. पंचायती राज की किताबों को पढ़ा. अब मुङो लगता है कि कुछ करना है. रूप सरदार का कहना है कि मैं मुखिया रहूं या नहीं रहूं, लेकिन मेरा लक्ष्य है कि मैं पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊं तथा समाज की सेवा करती रहूं, जिसमें शिक्षा मुख्य कार्य रहे. यही कारण है कि वरीय पदाधिकारी से भी इन्हें बात करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है. ये अपनी समस्याओं को हमेशा उनके समक्ष रखती हैं.

पोड़ाडीहा में कुछ जरूरी सुविधायें नहीं है. पंचायत भवन के न होने के कारण गांव से ढाई किलोमीटर दूर तहसील कार्यालय में पंचायत की बैठक करनी पड़ती है. पंचायत भवन तीन साल से निर्माणाधीन है. प्रखंड के प्रमुख भी इसी गांव के हैं. यानी एक ही गांव के मुखिया भी है और प्रमुख भी. इसके बावजूद पंचायत भवन का न होना हास्यास्पद है. मुखिया ने तीन साल के दौरान पंचायत की कई जरूरतों जैसे सड़क, गार्ड वाल, तालाब आदि का निर्माण कराने में सफलता पायी है. पंचायत के ग्रामीण लोगों को आपने शिक्षित मुखिया होने का गर्व है.

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