चांडिल : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में मकर संक्रांति के अवसर पर मनाये जाने वाले टुसू पर्व की तैयारी लगभग पूरी कर ली गयी है. टुसू (चौड़ल) बनाने का काम चरम पर है और पर्व को लेकर लोगों की खरीदारी भी जम कर हो रही है. क्षेत्र में टुसू गीतों से वातावरण गुंजायमान हो रहा है.
मांदर और नगाड़ों की थाप पर ‘‘मकर परब आस्छे ढेव मारें, बंधु जाईसना आमाके छाड़ें’’, ‘‘पुस परब आर कोतो दिन आछे, जोतो बहु गिलाय सुधियाछे’’ आदि समेत अन्य टुसू गीतों पर युवक-युवतियों की टोलियां झूम रहीं हैं.
मकर संक्रांति (टुसू पर्व) के दिन टुसू देवी का विसजर्न करने का रिवाज है. युवक-युवतियों की टोली मांदर और ढोल नगाड़ों की थाप पर टुसू गीतों पर झुमते पवित्र नदी और जलाशयों की ओर चल पड़ते हैं. स्नान दान और टुसू देवी की पूजा अर्चना करने के बाद टुसू का विसजर्न कर दिया जाता है.
इसी दिन नदी किनारे चूड़ा- दही, गुड़-पीठा, तिलकुट खाने का भी रिवाज है. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में टुसू पर्व का काफी महत्व है, लोग नये कपड़े पहनकर पर्व मनाते है. कई जगहों पर टुसू प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है.
जयदा समेत कई जगह लगता है मेला
टुसू पर्व पर प्रसिद्ध जयदा मंदिर समेत कई स्थानों पर मेला का आयोजन किया जाता है. टुसू पर्व पर चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के जयदा में पांच दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध मेला लगता है. इसमें प. बंगाल, ओड़िशा समेत दूरदराज से लाखों लोग आते हैं. जयदा स्थित ऐतिहासिक बूढ़ाबाबा शिव मंदिर कमेटी के द्वारा मेला में भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है.
इसके अलावा चांडिल डैम, बिरीगोड़ा, ईचागढ़ के राम मेला, बुटगोड़ा मेला, नीमडीह के छाता पोखर मेला समेत कई स्थानों पर मेला का आयोजन होता है.
टुसू पर्व पर की खरीदारी
सोमवार को लगने वाले विख्यात चांडिल, खूंटी, नागासेरेंग आदि साप्ताहिक हाटों में लोगों ने जम कर खरीदारी की. इसके अलावा चौका, चांडिल, रघुनाथपुर, टीकर, मिलन चौक, ईचागढ़ आदि बाजार में नये वस्त्र और विभिन्न प्रकार के पकवानों की खरीदारी हुई.