गया : रविवार की रात डेल्हा के खरखुरा मुहल्ले में आरपीएफ बैरक के पास हमलावरों ने संजय की जान ले ली. डीएम के आदेश पर देर रात इसका पोस्टमार्टम भी करा लिया गया. तीन दिन पहले भी घटनास्थल के पास किसी बात पर कुछ युवकों से संजय की तनातनी हुई थी.
यह चर्चा स्थानीय लोगों के बीच हो रही है. लेकिन, किस मामले को लेकर युवकों से बहस हुई थी और वे युवक कौन थे. इस सभी सवालों का जवाब पुलिस पदाधिकारियों को खोजना होगा. हालांकि, इन युवकों की पहचान में एक ललन नामक एक व्यक्ति का नाम सामने आया है, जिसके बारे में चर्चा है कि ललन उन युवकों को पहचानता है. लेकिन, सवाल है कि ललन कौन है.
उधर, घटना के बाद खरखुरा, बैरागी, नवादा बस्ती, दुर्गा स्थान, भलुआही सहित अन्य मुहल्लों में सन्नाटा पसर गया है. सभी के दिमाग में सिर्फ एक ही सवाल कौंध रहा है कि आखिर संजय का दुश्मन कौन था? किस दुश्मनी को लेकर अपराधियों ने उसकी जान ले ली? आखिर संजय का दोष क्या था?
कुशल व्यवहार का व्यक्ति था संजय :चर्चा है कि अपने कुशल व्यवहार के कारण संजय की चर्चा खरखुरा सहित आसपास के मुहल्ले में होती रहती थी. वह सिर्फ अपने व्यवसाय में लगा रहता था. मुहल्ले के सभी सामाजिक कार्यो में वह शामिल होता था. अपने व्यवहार के कारण ही खरखुरा-बैरागी की रहनेवाली विधवा समसदिया देवी के साथ करीब 20 वर्षो से सब्जी का व्यवसाय कर रहा था. संजय तीन भाइयों में सबसे बड़ा था. उसे दो बेटे व एक बेटी है. कमाने वाला संजय अकेला था. यह संयोग था कि कुछ वर्ष पहले संजय से अपनी बेटी की शादी कर दी थी.
समसदिया से पूछताछ: इस हत्याकांड के बाद प्रत्यक्षदर्शी समसदिया से काफी देर तक सिटी एसपी चंदन कुशवाहा, डेल्हा थानाध्यक्ष निखिल कुमार, सिविल लाइंस इंस्पेक्टर नागेंद्र सिंह सहित अन्य पुलिस पदाधिकारियों ने पूछताछ की. रोते-रोते समसदिया ने बताया कि बाबू, अब ओकर परिवार के का होतई. हमरे भविष्य पर ग्रहण लग गेलई.
करीब 20 बरस से दोनों एकसाथ सब्जी के कारोबार करे थली. हे भगवान, केकर मुंह देख के आज उठलियहल, कौन मुंझौसा तइहन संजय के जान ले लेलकई. अरे जान लेवे ला हलई तक हमर जान ले लेतई हल.
अब घर कौन बनायेगा : समसदिया ने बताया कि संजय अपने घर-परिवार से जुड़ी हर बात उसे बताता था. संजय ने घर बनाने की योजना बनायी थी. अब संजय का यह सपना, सपना ही बन कर रह गया. अब संजय का घर कौन बनायेगा?