सासाराम (नगर) : सासाराम शहर सिख धर्मावलंबियों की सत्संगी स्थल रही है. यहां से धर्मावलंबियों ने धर्म के प्रचार-प्रसार करने का काम किया. सबके दुख निवारण के लिए (सरबत दा भला) गुरु नानक पातिशाही ने अपनी यात्रा के क्रम में 1556 से 1565 के बीच सासाराम पहुंचे थे.
गुरु अमर दास ने गुरु नानक देव द्वारा शिरोमणि मिशन के रूप में चिह्न्ति सासाराम में संघत स्थान बना कर चाचा फागुमल साहिब को धर्म प्रचारक नियुक्त किया था, जिन्होंने संपूर्ण जीवन सासाराम में ही बिताया. वहीं, नौवें गुरु तेग बहादुर ने अपनी यात्रा के दौरान 1666 में ‘‘नाम जपो. कृत करो. व बंड छको..’ का संदेश दिया था.
नाम जपो अर्थात गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी ईश्वर की प्रार्थना, कृत करो यानी गृहस्थ जीवन जीने के लिए ईमानदारी से कड़ी मेहनत व मजदूरी से धनोपाजर्न करना व बंड छको अर्थात सामाजिक व गृहस्थ जीवन का निर्वाह करते हुए जरूरतमंदों की सेवा एवं सहयोग अवश्य करने का उपदेश दिया था. इस दौरान गुरु तेग बहादुर ने 12 दिनों तक चाचा फागुमल की अरदास की थी.