कोलकाता : इंटर्न द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के गांगुली ने राज्यपाल से मिलने के बाद मानवधिकार आयोग के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. गांगुली ने इस्तीफा देने का मन पहले से बना लिया था. इसलिये आज वह राज्यपाल से मिलने पहुंचे. हालांकि उन्होंने इसकी सूचना मीडिया में पहले नहीं दी. गांगुली पर पद से इस्तीफा देने का दबाव बहुत पहले से बनाया जा रहा था.
गौरतलब है कि उन्होंने पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ टेलीफोन पर हुयी अपनी बातचीत के बारे में टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. सोराबजी ने कल कहा था कि न्यायमूर्ति गांगुली ने उन्हें टेलीफोन किया और कहा कि वह पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की सोच रहे हैं.
न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, ‘‘मैंने इसके बारे में अखबारों में पढ़ा है. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं, गांगुली ने कहा, ‘‘मैंने अभी तक कुछ भी तय नहीं किया है.’’
पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने गांगुली की ओर से इस बारे में उन्हें लिखे जाने की खबर के बारे में पूछने पर कहा, ‘न्यायमूर्ति गांगुली ने मुझसे टेलीफोन पर बात की और कहा कि वह इस्तीफा देने के बारे में सोच रहे हैं.’ सोराबजी ने बताया कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान न्यायमूर्ति ने कहा कि उनके बारे में कई तरह की बातें कही जा रही है और उनकी राय मांगी जा रही है.’
उन्होंने गांगुली से कहा कि इस्तीफा देना बुद्धिमतापूर्ण निर्णय है. न्यायमूर्ति गांगुली और सोराबजी के बीच चर्चा ऐसे समय में हुई है जब गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति की राय को उच्चतम न्यायालय के समक्ष भेजने को मंजूर दी थी.
गांगुली ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल उस याचिका से रविवार को दूरी बना ली जिसमें मांग की गयी है कि गांगुली पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के मद्देनजर उन्हें पद से हटाने के लिए केंद्र को कोई भी प्रयास करने से रोका जाये. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने बताया ‘ मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है. मैं यह भी नहीं जानता कि याचिका किसने दाखिल की है और क्यों की है. मैंने अखबारों में इस बारे में खबर देखी.’ न्यायमूर्ति गांगुली अपने खिलाफ आरोपों को खारिज कर चुके हैं.