पटना: आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने के मामले में आरोपित शेखपुरा के खनन विकास पदाधिकारी झकारी राम व गोपालगंज के खान निरीक्षक रवींद्र कुमार यादव के सभी जब्त किये गये बैंक खातों को फ्रीज कर दिया. झकारी राम व उनके परिजनों के नाम आशियानानगर स्थित एसबीआइ ब्रांच के खाते से 27 लाख रुपये जब्त किये गये. छापेमारी के दूसरे दिन मुजफ्फरपुर, शेखपुरा, गोपालगंज व पटना की अलग-अलग जांच टीमों ने जब्त किये गये कागजातों को खंगाला. इन कागजातों में दर्ज भूमि व अन्य संपत्ति के खरीदे गये मूल्य की वास्तविक राशि का मिलान किया गया. साथ ही सभी टीमों द्वारा अलग- अलग रिपोर्ट तैयार कर दर्ज किये गये कांडों के अनुसंधानकर्ता को सौंपा गया.
नहीं मिला लॉकर
सूत्रों के अनुसार, मुजफ्फरपुर में आठ व कैमूर में एक बैंक खाते को फ्रीज किया गया है. आरोपित पदाधिकारियों के पास जांच के क्रम में कोई बैंक लॉकर फिलवक्त नहीं मिला है. सूत्रों ने बताया कि तीन बैंक खातों को फ्रीज करते हुए उन खातों के नाम से आवंटित की गयी किसी बैंक लॉकर हो, तो उसकी जानकारी बैंक प्रबंधन से मांगी गयी है. कैमूर के जिस खाते में दो करोड़ रुपये जमा हैं, उसके ट्रांजेक्शन पर लगी रोक लगा दी गयी है. इसके अतिरिक्त मात्र एक आरोपित की पत्नी के नाम पर 3.50 लाख रुपये का लोन है, उसे छोड़ दिया गया है, ताकि बैंक लोन की राशि की वसूली कर सके. गौरतलब है कि शुक्रवार को आर्थिक अपराध इकाई ने खनन विभाग के दोनों अधिकारियों की 10 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है.
पैसा कमाया और पंचायत चुनाव में लगाया
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) द्वारा दर्ज किये गये आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपित खान निरीक्षक रवींद्र कुमार यादव द्वारा अजिर्त किये पैसे को कहां-कहां खर्च किया गया, इसकी छानबीन शुरू कर दी गयी है. इओयू सूत्रों के अनुसार आरोपित पदाधिकारी ने पूर्व में खोयी पारिवारिक राजनीतिक प्रतिष्ठा को वापस पाने के लिए पंचायत चुनाव 2011 में जम कर धन खर्च किया था. जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड की कटेसर पंचायत के मुखिया पद के चुनाव में रवींद्र कुमार यादव के भाई की बहू कामता कुमारी उम्मीदवार बनी थी. उनका सीधा मुकाबला प्रत्याशी सुमित्र देवी के साथ था.
2006 के पंचायत चुनाव में सुमित्र देवी ने ही रवींद्र कुमार यादव के पिता नागेश्वर राय को पराजित किया था. वे लंबे समय से उस पंचायत के मुखिया रहे थे. इस हार के बाद से 2011 में किसी भी कीमत पर जीत सुनिश्वित करने को लेकर तैयारी की गयी थी. 2011 के चुनाव में भारी राशि खर्च कर भाई की बहू कामता कुमारी की जीत सुनिश्चित कराने का प्रयास किया गया. अंतत: भारी मतों से कामता कुमारी चुनाव में विजयी रही और मुखिया निर्वाचित की गयी. पुलिस सूत्रों की मानें, तो जांच के क्रम में मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इस चुनाव में लाखों रुपये खर्च किये गये थे. दोनों प्रत्याशियों ने एक-दूसरे के परिवारों के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में मामला भी दर्ज करा रखा है.