– लखीन्द्र मंडल –
मसलिया : लोग आज भी स्वर्ग और नरक में विश्वास रखते हैं. अपने-अपने कर्मो के अनुसार ग्रामीण इलाकों के लोग मानते हैं कि जैसा कर्म होगा भोग भी वैसा ही होगा. मान्यता है कि नरक का राजा यमराज है. वह मनुष्य को कर्मों के तौर पर सजा देते हैं.
इस किमदन्ती को जीवित रखने का श्रेय जादोपेटिया जाति को है.
संताल परगना प्रमंडल के जामताड़ा और दुमका जिले में कई गांव में जादोपटिया जाति के लोग निवास करते है. इनका मुख्य पेसा जादोपेटिया कला है. मुख्य रूप से जादोपेटिया जाति के लोग ग्रामीण इलाको में हचत्रपट दिखाकर लोगो को बुरे काम करने से रोकते हैं.
यही कारण है कि संथाल समाज के लोग बुरे कार्यो से दूर रहते हैं. मसलिया प्रखंड के कुसुमघाटा, नावासार, फलन तथा सीमावर्ती प्रखंड फतेहपुर के आसनबेदिया, कुसमा, सुगनीभाषा सहित प्रखंड के विभिन्न गांवों में ये लोग अभी स्थायी तौर पर निवास करते है. जादोपटिया जाति के मुख्य यजमान संताल समुदाय ही है.
जादोपटिया कलाकार घर घर जाकर लोगों को पट दिखाते है, और उससे प्राप्त दक्षिणा से ही अपना भरन पोषण करते हैं.
कुसुमघाटा गांव के हलधर चित्रकार, पंचानन चित्रकार तथा आसनबेड़िया गांव के श्यामसुंदर चित्रकार बताते हैं कि पट में यमराज के विभिन्न चित्र बनाये जाते हैं, जिनमें भिन्न भिन्न कर्मो के लिये मृत लोगों को नरक में यातना देते हुए दर्शाया जाता है.
पटों को दिखाते हुए गीत के रुप में उसकी विस्तृत व्याख्या की जाती है तथा लोगो को बुरे काम के अंजाम से अवगत कराया जाता है. श्यामसुंदर ने जो चित्रपट दिखाया, उसमें उन्होंने दर्शाया था कि जिस व्यक्ति को धन का अहंकार होता है जो वह मरकर नरक पहुंचता है.
जो बहु सास को गाली देता है, उसे यमराज ठूठा बनाते है. जो व्यक्ति अपने माता पिता को खाना नही देते, यमराज उसके छाती में पत्थर रख यमदूतो से फोड़वाते है. यह यातनाएं पट में चित्रित हैं.