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झारखंड : भाषा विवाद के नाम रहा वर्ष 2013

रांची: शिक्षा विभाग के लिए वर्ष 2013 कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा. 2009 से लंबित शिक्षक पात्रता परीक्षा इसी वर्ष हुई. प्राथमिक व मध्य विद्यालय में कक्षा एक से पांच के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया इसी वर्ष शुरू हुई. साथ ही उर्दू के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू हुई. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव […]

रांची: शिक्षा विभाग के लिए वर्ष 2013 कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा. 2009 से लंबित शिक्षक पात्रता परीक्षा इसी वर्ष हुई. प्राथमिक व मध्य विद्यालय में कक्षा एक से पांच के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया इसी वर्ष शुरू हुई. साथ ही उर्दू के शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू हुई.

शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव के बयानों को लेकर भी यह वर्ष चर्चा में रहा. शिक्षक पात्रता परीक्षा से मगही व भोजपुरी भाषा को बाहर करने की घोषणा को लेकर शिक्षा मंत्री को काफी विरोध ङोलना पड़ा. विरोधी पार्टियों के साथ ही कांग्रेस के विधायकों व नेताओं ने भी शिक्षा मंत्री के इस निर्णय का विरोध किया. वर्ष 2013 में भी इंटरमीडिएट साइंस के रिजल्ट में सुधार नहीं हो सका. इंटर साइंस में आधे से अधिक विद्यार्थी फेल हो गये. शिक्षक पात्रता परीक्षा में जैक द्वारा जारी उत्तर में गड़बड़ी भी चर्चा का विषय बना.

नियुक्ति प्रक्रिया शुरू
राज्य में वर्षो से लंबित शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2013 में शुरू हुई. प्राथमिक व मध्य विद्यालय में लगभग 13 हजार सहायक शिक्षक व 4,401 उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किये गये. कक्षा एक से पांच में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन कक्षा छह से आठ में शुरू नहीं हो सकी. मध्य विद्यालय में इंटर प्रशिक्षित शिक्षक के पद को स्नातक प्रशिक्षित पद में अपग्रेड करने की प्रक्रिया भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है.

पारा शिक्षकों का आंदोलन
शिक्षा मंत्री ने पारा शिक्षकों के मानदेय में पांच हजार रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की. हालांकि घोषणा के अनुरूप मानदेय में बढ़ोतरी नहीं होने से पारा शिक्षकों ने मुख्यमंत्री आवास के समक्ष आमरण-अनशन भी किया. राज्य के स्थापना दिवस पर काला झंडा दिखाकर कार्यक्रम का बहिष्कार भी किया. विधानसभा के समक्ष भी विरोध प्रदर्शन किया.

एनसीइआरटी से किताब खरीदने का निर्णय
सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को नि:शुल्क किताब वितरण में गड़बड़ी का मामला भी इसी वर्ष प्रकाश में आया. इसके बाद वर्ष 2013-14 में किताब छपाई करने वाले प्रकाशकों को राशि भुगतान पर रोक लगा दी गयी. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की बैठक में किताब छपाई में हुई गड़बड़ी को देखते हुए शैक्षणिक सत्र 2014-15 के लिए एनसीइआरटी से किताबें खरीदने का निर्णय लिया गया. एनसीइआरटी ने किताबों के लिए 218 करोड़ रुपये मांगा है.

बुनियाद 2013 का हुआ शुभारंभ
राज्य के सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने के लिए बुनियाद-2013 का शुभारंभ किया गया. इसके तहत कक्षा एक व दो के बच्चों को उनकी पठन-पाठन की क्षमता के अनुरूप अलग-अलग ग्रुप में बांटा जाता है. बच्चों के पठन-पाठन के स्तर एवं प्रगति जानने के लिए सतत एवं व्यापक मूल्यांकन किया जायेगा. इसका दैनिक जीवन में उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा. प्रत्येक बच्चे का अलग परफॉरमेंस रिकार्ड तैयार कर उसकी जानकारी अभिभावकों को दी जायेगी.

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