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10 जनवरी को भुगतान पर निर्णय

मधुबनीः बिहार राज्य चीनी निगम के बंद पड़े मिलों के कर्मियों के बकाये वेतनादि को लेकर निगम और मजदूर संगठन के बीच एक बार फिर बैठक होगी. इसके लिए आगामी 10 जनवरी 2014 की तिथि निर्धारित निर्धारित की गयी है. यह बैठक श्रम विभाग के प्रधान सचिव एसके शर्मा के कार्यालय कक्ष में आयोजित होगी. […]

मधुबनीः बिहार राज्य चीनी निगम के बंद पड़े मिलों के कर्मियों के बकाये वेतनादि को लेकर निगम और मजदूर संगठन के बीच एक बार फिर बैठक होगी. इसके लिए आगामी 10 जनवरी 2014 की तिथि निर्धारित निर्धारित की गयी है. यह बैठक श्रम विभाग के प्रधान सचिव एसके शर्मा के कार्यालय कक्ष में आयोजित होगी.

इसमें निगम प्रबंधन की ओर से चीनी निगम के प्रबंध निदेशक सह ईख आयुक्त, श्रम आयुक्त सभा के प्रांतीय महामंत्री अघनू यादव भाग लेंगे. इसी बैठक में चीनी मली कर्मियों के बकाये भुगतान पर फैसला लिया जायेगा. इससे पूर्व विगत 1 नवंबर 2013 को पटना श्रम विभाग के प्रधान सचिव की मौजूदगी में प्रबंधन और मजदूर संघ की बैठक हुई थी. इसमें दो माह के अंदर बकाये भुगतान की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया गया था. इस पर अब तक अमल नहीं किया जा सका है. ऐसे में अगली बैठक में निष्कर्ष को लेकर संशय बरकरार है.

निगम व संघ में जिच

इधर, बकाये वेतनादि के भुगतान को लेकर निगम प्रबंधन और मजदूर संगठन के बीच जिच बरकरार है. चीनी निगम जहां वर्ष 2008 में सरकार द्वारा लोरिया, सुगौली व मोतीपुर की तर्ज पर अन्य मीलों का भी कट ऑफ डेट मान रही है. जबकि सीजनल कर्मियों का सेवा अवधि 1997 तय कर रखा है. इस मजदूर संगठन ने कड़ा एतराज जताया है. मजदूर संगठन के प्रतिनिधि अघनू यादव का कहना है कि स्थायी और सीजनल कर्मियों में फर्क करना अनुचित है. दोनों ही मील के अंग रहे है. दूसरी ओर भुगतान को लेकर हुई बैठक और सरकार के निर्णय के मुताबिक अन्य मीलों के कर्मियों की सेवा अवधि निवेशक को मिल हस्तांतरण की तिथि मानी जायेगी.

सरकार के इस फैसले को खुद निगम उल्लंघन कर रही है. क्योंकि कुछ मीलों का कट ऑफ डेट बगैर मील हस्तांतरण का ही तय कर दिया गया है. इसमें सकरी का 2009 एवं बिहटा का वर्ष 2010 तय किया गया है. श्री यादव ने कहा है कि इसका विरोध किया जायेगा.

भुगतान पर पेच

वहीं 1 नवंबर की बैठक में श्रम विभाग ने निगम को दो माह में भुगतान हर हाल में सुनिश्चित करने को कहा था. इस पर निगम ने सहमति भी जतायी थी. पर अब वित विभाग के निर्देश से मामला एक बार फिर पेंज में फंस गया है. वित्त विभाग का कहना है कि बगैर निवेशक को मील हस्तांतरित किये बकाये भुगतान नहीं की जा सकती है. बताया जाता है कि वित विभाग के इस आदेश से श्रम विभाग भी सकते में है. हालांकि पूर्व निर्धारित तय सीमा दिसंबर माह में खत्म हो रही है. बताया जाता है कि राज्य सरकार ने मार्च 2013 को ही सकरी चीनी मील कर्मियों के बकाये भुगतान को लेकर 13 करोड़ 62 लाख रूपये निगम को दे चुकी है. लेकिन सीजनल व स्थायी कर्मियों के सेवा अवधि तय करने में मामला फंसा हुआ है. इन मामले पर मजदूर संगठन का आरोप है कि निगम जानबूझ कर पेंच फंसा रही है. जबकि अर्थाभाव में मजदूरों की हालत बदतर हो चुकी है.

श्रम विभाग की भृकूटी तनी

बकाये भुगतान को लेकर निगम की लेट लतीफी और वित विभाग के नये आदेश से श्रम विभाग की भृकूटी तन गयी है. जानकारों ने बताया कि राज्य श्रम आयुक्त ने किसी भी परिस्थिति में निर्धारित समय पर भुगतान करने का निर्देश निगम को दिया है. बताया जाता है कि पूर्व में भी श्रम आयुक्त ने उदासीनता पर निगम को कड़ी फटकार लगाते हुए मामले को अभियोजन के लिए उपयुक्त माना था. साथ ही वस्तुस्थिति स्पष्ट नहीं किये जाने की स्थिति में अभियोजन को स्वीकृत करने हेतु सरकार को अनुशंसा कर देने की धमकी दी गयी थी. पर हालात अब पहले की जगह पर कायम है.

मांग पर अड़ा संगठन

इधर मजदूर संगठन भी अपनी मांग पर अड़ा हुआ है. हिंद मजदूर सभा के प्रदेश महामंत्री अघनू यादव ने बताया है कि संगठन अपनी मांगों से सरकार को अवगत करा चुके है.

इसमें मिल हस्तांतरण से पूर्व बकाये का भुगतान, हस्तांतरण तिथि को ही कट ऑफ डेट मानने, सीजनल व स्थायी कर्मियों का कट ऑफ रेट एक हो, संशोधित उपादान के अनुसार 20 माह से अधिक उपादान का भुगतान हो, संचित अवकाश 240 दिन हो, बंदी सीजन में कार्यरत सभी सीजनल कर्मियों को पीएफ सुविधा के साथ अन्य लाभ मिले. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार उक्त मांगों को नहीं मानती है तो संघर्ष जारी रहेगा.

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