इस्लामाबाद : नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने और शांति सुनिश्चित करने के मकसद के तहत भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने वाघा-अटारी सीमा पर बैठक की. यह बैठक 14 वर्षों के बाद हुई है.इस बैठक में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने किया जबकि पाकिस्तानी पक्ष का प्रतिनिधित्व मेजर जनरल आमेर रियाज कर रहे थे. इस वार्ता में भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ से एक ब्रिगेडियर और तीन लेफ्टिनेंट कर्नल ने हिस्सा लिया. बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली.
पाकिस्तानी सेना ने तस्वीरें जारी की हैं जिनमें वाघा सीमा पर रियाज को भाटिया की अगवानी करते देखे जा सकता है. बैठक की भी एक तस्वीर जारी की गई हैं फिलहाल बैठक से जुड़ा कोई विवरण नहीं मिल पाया है. इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने एक बयान में कहा कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच बैठक करने का फैसला राजनीतिक स्तर पर किया गया है.
यह पिछले 14 साल में दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच की पहली बैठक है. इससे पहले दोनों के बीच की आखिरी बैठक 1999 में हुई थी. बताया जाता है कि भारत ने नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम बनाए रखने की अहमियत को जोरदार लफ्जों में रखा. उधर, पाकिस्तानी मीडिया रिर्पोटों में कहा गया है कि पाकिस्तान द्वारा संभवत:नियंत्रण रेखा पर तैनात संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों (यूएनएमओजीआईपी) की भूमिका में इजाफा पर जोर दिया गया.
नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव के तहत 1949 में यूएनएमओजीआईपी का गठन किया गया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ ने तनाव खत्म करने के लिए इस बैठक का प्रस्ताव किया था. उनके प्रस्ताव के तीन महीने बाद यह बैठक हो रही है.
शुरु में पाकिस्तान ने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक में विदेश मंत्रलय के अधिकारियों को भी शामिल करने का प्रस्ताव किया था. भारत ने उसका यह प्रस्ताव नामंजूर कर दिया. बहरहाल, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था, ‘‘फिलहाल यह बैठक डीजीएमओ के बीच होगी, लेकिन हमारा प्रस्ताव अब भी मेज पर है.’’