रांची: सीइओ दीपंकर पंडा के असमय तबादले ने रांची नगर निगम की रफ्तार रोक दी है. 13 दिसंबर को सीइओ के तबादले के कारण शहर के कई विकास कार्यो पर ग्रहण लग गया है. अंतिम स्टेज पर पहुंचे कई काम फंस गये हैं. शहर का बहुप्रतीक्षित मास्टर प्लान फिर से लटक गया है. नागा बाबा खटाल परिसर में दिल्ली हाट की तर्ज पर बननेवाला बाजार टेंडर निकालने के स्टेज तक पहुंचने के बावजूद ठंडे बस्ते में चला गया है. जेएनएनयूआरएम से प्राप्त सहायता से 30 सिटी बसों की खरीद टल गयी है. आउट सोर्सिग कर टैक्स वसूली में गुणात्मक इजाफा का प्रस्ताव भी रास्ता भटक गया है.
उदासीन हैं नये सीइओ मनोज कुमार
रांची नगर निगम के नये सीइओ मनोज कुमार मास्टर प्लान समेत शहर के विकास और निगम को स्वावलंबी बनाने की योजनाओं के प्रति उदासीन हैं. इस वजह से मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद जनवरी 2014 तक मास्टर प्लान लागू नहीं किया जा सकेगा. 13 दिसंबर को सीइओ का प्रभार ग्रहण करने के बाद अब तक मास्टर प्लान बनानेवाली कंपनी फीडबैक वेंचर के परामर्शियों से उन्होंने कोई बातचीत नहीं की है.
यहां उल्लेखनीय है कि मास्टर प्लान पर आयी 472 आपत्तियों का निराकरण कराने के बाद अब एक बार फिर से आपत्ति देने की तिथि बढ़ा कर 15 जनवरी 2014 कर दी गयी है. इसके अलावा घाघरा में अपोलो ग्रुप को अस्पताल देने का मामला विधि विभाग की हरी झंडी मिलने के बाद भी आगे नहीं बढ़ रहा है. श्री कुमार द्वारा रुचि नहीं लिये जाने से टैक्स वसूली के लिए आउट सोर्सिग करनेवाली कंपनी का चयन करने के बाद भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
10 दिन पहले निगम में आया हूं
सिस्टम को समझने के लिए फाइलें मंगवायी थी. राजभवन के समीप रांची हाट की फाइल में पार्किग की समस्या थी, उसी को देखने के लिए फाइल मंगवाया था. मास्टर प्लान को समझने के लिए भी परामर्शी कंपनी के साथ बैठक की थी. टैक्स कलेक्शन बेहतर तरीके से हो, इसके लिए भी एक दिन सॉफ्टटेक सॉल्यूशन के विशेषज्ञों के साथ बैठक की थी. हम फाइल लटकाते नहीं हैं. दो दिन देर से काम करेंगे, लेकिन बेहतर काम करेंगे.
मनोज कुमार, सीइओ रांची नगर निगम