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बिहार में जदयू, भाजपा का ब्रेकअप 2013 की सबसे बड़ी घटना

पटना : बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख घटक जदयू और भाजपा का 17 वर्ष पुराना रिश्ता एक झटके में टूट जाना, गुजरते साल में राज्य की सियासत की सबसे बड़ी घटना रही. इस रिश्ते के टूट जाने के बाद राजग के घटकों की संख्या मात्र दो रह गयी. भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को […]

पटना : बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख घटक जदयू और भाजपा का 17 वर्ष पुराना रिश्ता एक झटके में टूट जाना, गुजरते साल में राज्य की सियासत की सबसे बड़ी घटना रही. इस रिश्ते के टूट जाने के बाद राजग के घटकों की संख्या मात्र दो रह गयी.

भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद जदयू ने भाजपा से नाता तोड़ा और उसे फिर से विपक्ष की भूमिका में आने के लिये मजबूर कर दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा कोटे के 11 मंत्रियों को अपने मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाते हुए 19 जून को कांग्रेस एवं भाकपा के साथ चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से विश्वास मत हासिल कर लिया.

भाजपा ने जदयू के इस निर्णय को जनादेश के साथ विश्वासघात बताते हुए नीतीश सरकार के खिलाफ मुहिम छेड दी. नीतीश के धुर विरोधी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान भी बीते साल और अधिक मुखर हुये. नीतीश द्वारा नरेंद्र मोदी विरोध को देखते हुए पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित पार्टी के अन्य नेता 16 जून के बाद नीतीश की आलोचना करने लगे जो नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीतीश की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने से कन्नी काटते नजर आते थे.

जदयू से नाता टूटने के बाद नीतीश के खिलाफ मुखर हुई भाजपा ने पटना में 27 अक्तूबर को आयोजित होने वाली अपनी हुंकार रैली में नरेंद्र मोदी को बुलाए जाने की घोषणा कर दी तथा 6 जुलाई को टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्हें बिहार के भाजपा कार्यकर्ताओं से रु-ब-रु भी करवाया. राज्य में बीते वर्ष बोध गया और पटना में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों ने पूरे देश को दहला दिया.

बीते वर्ष 7 जुलाई को बोधगया में सिलसिलेवार धमाके हुए जिसमें दो बौद्ध भिक्षु घायल हो गए थे. भाजपा सहित पूरे विपक्ष को नीतीश सरकार की कानून व्यवस्था की कथित बिगडती स्थिति को लेकर आलोचना करने का मौका मिल गया.

वर्ष 2013 की 16 जुलाई को सारण जिले के मशरख प्रखंड के धरमसाती गंडामन गांव के एक प्राथमिक स्कूल में विषाक्त मध्याह्न भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत और स्कूल की रसोईया सहित 24 अन्य बच्चों के बीमार पडने पर भाजपा सहित विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उसकी कार्यशाली पर प्रश्नचिन्ह लगाने में कोई चूक नहीं की. गुजरे साल में नीतीश सरकार को बिहार में स्कूली चापाकलों में पानी को दूषित किए जाने की घटनाओं का भी सामना करना पड़ा.

भाजपा ने नीतीश पर वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए उनके विरोध में और मोदी के पक्ष में नीतीश के पैतृक जिला नालंदा से अपना अभियान शुरु किया. जम्मू-कश्मीर के पुंछ इलाके में गत 7 अगस्त को बिहार के 4 सैनिकों के शहीद होने पर बिहार के मंत्री भीम सिंह के आपत्तिजनक बयान के कारण नीतीश सरकार को विपक्ष ने आड़े हाथों लिया.

भाजपा की बिहार इकाई ने 17 अगस्त को एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी के संसदीय बोर्ड से मोदी को अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की मांग की. वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के इस प्रस्ताव का समर्थन बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने किया.

* बीते साल 19 अगस्त को खगड़िया जिले के धमाडा घाट रेलवे स्टेशन पर रेल हादसे में 28 लोगों की मौत तथा नौ व्यक्तियों के घायल हो जाने पर भाजपा सहित अन्य विपक्षी दलों ने इसे प्रशासनिक विफलता का नतीजा बताते हुए नीतीश सरकार को इसके लिए जिम्मेवार ठहराया.

* पिछले 29 अगस्त को प्रतिबंधित आंतकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक यासीन भटकल के साथ एक अन्य आतंकी को पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल से गिरफ्तार किया गया लेकिन भाजपा ने अल्पसंख्यकों की नाराजगी से बचने के लिए भटकल को गिरफ्तार न करने का आरोप नीतीश सरकार पर लगाया.

* गत 14 सितंबर को नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से उत्साहित भाजपा के बारे में नीतीश ने 16 सितंबर को दावा किया कि इससे उसे कोई लाभ नहीं मिलने वाला है.

* पिछले 3 अक्तूबर को रांची स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत ने चारा घोटाला से जुडे एक मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को सजा सुनाई तो उनकी पत्नी राबडी देवी पार्टी संचालित करती रहीं. हालांकि उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद 16 दिसंबर को लालू जेल से रिहा हो गये और आते ही उन्होने नीतीश सरकार तथा भाजपा पर निशाना साधा.

* पटना के गांधी मैदान में 27 अक्तूबर को आयोजित भाजपा की हुंकार रैली को नरेंद्र मोदी के संबोधित करने से पूर्व हुए सिलसिलेवार धमाकों ने भाजपा को नीतीश सरकार की आलोचना का एक और मौका मिला. इस रैली में अपने संबोधन में मोदी ने इस धमाके की कोई चर्चा तो नहीं की पर बिहार की ऐतिहासिक एवं भौगोलिक पृष्ठभूमि को दर्शाते हुए भाजपा से नाता तोडने वाले नीतीश को अवसरवादी और उनपर कांग्रेस संग आंख-मिचौनी करने का आरोप लगाया.

* गत 29 अक्तूबर को नालंदा जिला के राजगीर में आयोजित जदयू के चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए मोदी की हिटलर से तुलना की और बिहार के इतिहास के प्रति उनकी कथित अनभिज्ञता भी बतायी. नीतीश ने चुटकी लेकर कहा था कि लालकिला पर राष्ट्रध्वज फहराने का सपना, सपना ही रह जाएगा.

* हालांकि मोदी 2 नवंबर को हुंकार रैली के दौरान सिलसिलेवार धमाके में मरने वाले 6 लोगों के परिजनों से मुलाकात करने दोबारा बिहार आए थे. राज्य में हुंकार रैली के दौरान धमाके होने के मामले में नीतीश पर उनके प्रति असंवेदनशील होने एवं राजगीर में छप्पनभोग में तल्लीन होने का आरोप लगाए जाने पर 11 नवंबर को नीतीश ने पलटवार करते हुए कहा था कि मोदी झूठ की खेती करने में माहिर हैं.

* नीतीश ने 25 नवंबर को अपनी सरकार का आठवां रिपोर्ट कार्ड जारी किया तो भाजपा ने कहा कि वह भी सत्ता में साढे सात साल रही थी और ऐसे में उपलब्धियों का श्रेय उसे भी दिया जाना चाहिए था.

गुजरे साल ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अभियान छेडने वाले नीतीश को रघुराम राजन कमेटी ने निराश किया और बिहार को कम विकसित राज्यों की श्रेणी में रखा तथा विशेष दर्जा दिए जाने को लेकर कोई सिफारिश नहीं की. राज्य को विशेष दर्जा नहीं मिलने पर नीतीश ने संकल्प रैली के आयोजन का निर्णय लिया ताकि बिहार के गौरव की रक्षा हो सके.

केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार में माओवादियों गतिविधियों में बढोत्तरी होने तथा इससे निपटने में राज्य और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच समन्वय नहीं होने की बात कहे जाने पर विपक्षी दलों ने नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चे खोले.

भाजपा ने नीतीश पर अगले लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए उनकी सरकार द्वारा माओवादियों के खिलाफ नरमी बरते जाने का आरोप लगाया वहीं बिहार प्रदेश कांग्रेस ने नक्सली हिंसा में पिछले साल की तुलना में 41 प्रतिशत वृद्धि का दावा किया. गुजरे वर्ष नक्सली हिंसा में 16 पुलिसकर्मियों सहित 60 लोग मारे गये जबकि वर्ष 2012 में 25 लोगों की मौत हुई थी.

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