नयी दिल्ली: संसद द्वारा लोकपाल विधेयक पारित किए जाने के एक दिन बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अन्ना हजारे ने जिस तरह का आंदोलन किया, उस तरह के आंदोलनों ने लोकतांत्रिक ढांचों के नए आयाम खोले हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती.खुफिया ब्यूरो के एक सालाना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने लोकतंत्र के पारंपरिक विचार की ओर इशारा किया जिसका मतलब निश्चित अंतराल पर चुनाव और सरकार के कामकाज की समीक्षा करना होता था पर अब इसमें काफी बदलाव आ गया है. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘महज 10 साल पहले कोई सामाजिक कार्यकर्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों के बारे में सोचता तक नहीं था…अब वे सिर्फ यही मांग नहीं करते कि लोगों के हित की रक्षा के लिए खास तरह का कानून लागू कीजिये बल्कि वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि आपको किस तरह का मॉडल या किस तरह का ढांचा अपनाना है.’’
लोकपाल विधेयक पारित होने की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें राजी होना पड़ता है और यदि हम ऐसा नहीं कर पाते…तो उसे दबा कर रख दीजिए… हम इस तरह की चुनौतियों का आज सामना कर रहे हैं.’’गौरतलब है कि लोकपाल विधेयक के लिए अन्ना हजारे पिछले दो साल से भी ज्यादा समय से मुहिम चला रहे थे. अन्ना हजारे के आंदोलन के बाबत अपना अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दो साल पहले जब यह चरम पर था तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अन्ना से बातचीत करने के लिए गठित मंत्री-समूह की अध्यक्षता करने को कहा था. प्रणब ने बताया कि वियतनाम दौरे के दौरान भी उनसे पूछा गया कि वह आंदोलन से किस तरह निपटेंगे.