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गुजरात के व्यवसायी अपहरण मामले में जदयू नेता पर शक, नीतीश ने नकारा

पटना:बिहार की राजनीति एक बार फिर कलंकित होने वाली है. गुजरात के व्यवसायी मो सोहैल हिंगोरा के अपहरण मामले में बिहार के एक राजनेता का नाम आ रहा है.सोहैल के अपहरण मामले में जदयू नेता का नाम उछाले जाने पर आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि […]

पटना:बिहार की राजनीति एक बार फिर कलंकित होने वाली है. गुजरात के व्यवसायी मो सोहैल हिंगोरा के अपहरण मामले में बिहार के एक राजनेता का नाम आ रहा है.सोहैल के अपहरण मामले में जदयू नेता का नाम उछाले जाने पर आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह से किसी पर आरोप लगाना उचित नहीं है.

उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कोई व्यक्ति है, तो उसका नाम बतायें. उन्होंने कहा कि लडके की रिहाई के बाद इस तरह के आरोप लगाना उचित नहीं है. अगर पहले बताया जाता और बिहार पुलिस सहयोग नहीं करती, तब हम कोई आरोप स्वीकार करते. गौरतलब है कि सोहैल के पिता ने नौ करोड रुपये फिरौती देकर उसे मुक्त कराया था.

आज बिहार के एडीजी रवींद्र कुमार ने बताया कि इस मामले में एक व्यक्ति रंजीत सिंह की गिरफ्तारी हुई है. उन्होंने बताया कि हिंगोरा का अपहरण करने के बाद उसे दमन से सीधा छपरा लाया गया और उसे एक कमरे में एक महीने तक रखा गया था. हिंगोरा को 29 अक्तूबर को अगवा किया गया था. उन्होंने बताया कि मामले की जांच दमन पुलिस कर रही है.

अगवा करने वाले गिरोह का काम व्यवसायियों का अपहरण कर उससे फिरौती वसूलना है. गिरोह का सरगना बिहार से वास्ता रखता है और मजबूत राजनीतिक संरक्षण की वजह से वह 1991 में अविभाजित बिहार की एक लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुका है.सोहैलका यह बताना भी राजनीति और अपहरण उद्योग के नापाक रिश्ते से पर्दा हटाता है कि सारे अपहर्ता हमेशा खादी का कुर्ता व पायजामा पहनते थे.

सूरत निवासी व्यवसायी मो सोहैल हिंगोरा के अपहरण के बाद अपहरणकर्ताओं के साथ नौ करोड़ रुपये की डील करानेवाले राजनेता की तलाश में बिहार पुलिस जुटी है. सोहैल हिंगोरा के पिता हनीफ हिंगोरा द्वारा दमन पुलिस व मीडिया के समक्ष दिये गये बयानों की हकीकत खंगालने की जिम्मेवारी एसटीएफ को दिया गया है.

सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक तौर पर मिल रही जानकारी के आधार पर वैसे राजनेताओं पर नजर रखी जा रही है, जो अपराध की दुनिया से हाल के दिनों में जुड़े हैं. इनमें वैसे राजनेता शामिल हैं, जिनका प्रभाव क्षेत्र उत्तर बिहार के प्रमुख विधानसभा क्षेत्र में आता है. विभिन्न स्नेतों से मिल रही जानकारी के आधार पर जांच की जा रही है.

दमन में दर्ज किये गये अपहरण कांड व दमन पुलिस द्वारा किये जा रहे अनुसंधान के तथ्यों के आधार पर यह जांच शुरू की गयी है. सूत्रों के अनुसार आइजी (ऑपरेशन) अमित कुमार ने दमन के आइजी से संपर्क साधा है. दोनों अधिकारियों ने अपहरण के लोकेशन, छिपा कर रखे गये स्थान की जानकारी उपलब्ध करायी है. साथ ही कांड में शामिल गैंग के किंगपिन को तलाश करने को लेकर सूचनाएं साझा की गयी हैं. दोनों अधिकारी एक ही बैच के आइपीएस अधिकारी हैं.

गुजरात या अन्य राज्यों की पुलिस नहीं कर सकती जांच
सूत्रों के अनुसार, गुजरात या किसी अन्य राज्य की पुलिस वैधानिक रूप से इस संबंध में जांच नहीं कर सकती है, क्योंकि मामला दमन में दर्ज है. गुजरात पुलिस ने बिहार पुलिस से कोई जानकारी साझा नहीं की है. दमन के आइजी से मिली जानकारी के अनुसार, दमन पुलिस ने अपहरण के बाद विभिन्न लोकेशनों से आ रहे फोन कॉल के आधार पर सिर्फ राजकोट पुलिस से संपर्क किया था. इस संबंध में सारे सीडीआर व फोन रेकॉर्ड दमन पुलिस के पास सुरक्षित हैं. सूत्रों ने कहा कि चूंकि इस कांड को लेकर बिहार में मामला दर्ज नहीं है, ऐसे में गिरफ्तार अपहरणकर्ता को रिमांड पर लेने का सवाल ही नहीं उठता है.

पुलिस की हथकड़ी से कैसे बांधा गया !
सूत्रों ने बताया कि अपहरण के दौरान छपरा के नयागांव में छिपा कर 25 दिनों तक रखे गये सोहैल को पुलिस की हथकड़ी से बांध कर रखा गया था. उसे आठ फुट चौड़े व आठ फुट लंबे कमरे में जंजीरों से जकड़ा गया था, ताकि वह लेट व बैठ सके. उसे शुरू में खाने में दोपहर व शाम को दो रोटी व प्याज दिये जाते थे, ताकि उसके शरीर में भागने की ताकत नहीं रहे. पुलिस यह प्रयास कर रही है कि वह हथकड़ी अपहरणकर्ताओं के हाथ कैसे लगी. गिरफ्तार अभियुक्त रंजीत सिंह का भाई दीपक सिंह फरार है. उसके पिता झारखंड पुलिस में एएसआइ है, ऐसे में पुलिसकर्मियों से उनके संपर्क व संबंधों की भी जांच की जा रही है.

गैंग दूसरे राज्यों में सक्रिय
पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्रारंभिक छानबीन के दौरान जो साक्ष्य मिले है, उनके अनुसार छपरा से जुड़े अपहरणकर्ताओं का गैंग बेहद प्रोफेशनल है. इसका कई राज्यों में नेटवर्क है. इसके छिपने के ठिकानों व सूचना तकनीक से लैस होने की भी जानकारी मिली है. पुलिस उन फोन कॉल के रेकॉर्ड खंगा रही है, जिनके माध्यम से उसने फिरौती वसूल करने के पूर्व आपस में बातचीत की थी.

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