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2013 में भारत की कदम लाल ग्रह की ओर

नयी दिल्ली : अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने वर्ष 2013 में नए कीर्तिमान स्थापित किए. भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि इस साल लाल ग्रह मंगल के रहस्य सुलझाने के लिए मंगल मिशन का सफल प्रक्षेपण रही. 5 नवंबर को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत के ध्रुवीय रॉकेट पीएसएलवी सी 25 ने मंगल ग्रह के […]

नयी दिल्ली : अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने वर्ष 2013 में नए कीर्तिमान स्थापित किए. भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि इस साल लाल ग्रह मंगल के रहस्य सुलझाने के लिए मंगल मिशन का सफल प्रक्षेपण रही.

5 नवंबर को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत के ध्रुवीय रॉकेट पीएसएलवी सी 25 ने मंगल ग्रह के रहस्य सुलझाने के लिए भेजे गए उपग्रह को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया और इसी के साथ ही देश का पहला और ऐतिहासिक मंगल मिशन शुरु हो गया. भारत भी मंगल मिशन को अंजाम देने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया.

1350 किलोग्राम वजन के मंगल यान ने 30 नवंबर की रात पृथ्वी की कक्षा छोड़ी और मंगल ग्रह के लिए 10 महीने की 68 करोड़ किलोमीटर लंबी यात्रा पर बढ़ गया. इसके लाल ग्रह की कक्षा में 24 सितम्बर 2014 को पहुंचने और उसकी दीर्घवृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाने की उम्मीद है.

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नये क्षेत्र में प्रवेश करने वाले इसरो के मंगल अभियान का उद्देश्य देश की मंगल ग्रह पर पहुंचने की क्षमता स्थापित करना और मंगल पर मीथेन की मौजूदगी पर ध्यान केंद्रित करना है.

इसी साल 25 फरवरी को श्रीहरिकोटा से भारतीय ध्रुवीय अंतरिक्ष यान पीएसएलवी ने भारतीय-फ्रांसीसी समुद्रविज्ञान अध्ययन उपग्रह सरल समेत सात उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर अपने लगातार 22वें त्रुटिरहित प्रक्षेपण के साथ भारत ने अंतरिक्ष में अपना दबदबा और भी मजबूत कर लिया.

इस प्रक्षेपण से पीएसएलवी-सी20 ने सबसे पहले 409 किलोग्राम के भारतीय-फ्रांसीसी समुद्रविज्ञान अध्ययन उपग्रह सरल को उसकी कक्षा में स्थापित किया. सरल के अलावा, आस्ट्रिया के दो सूक्ष्म-उपग्रह यूनीब्राइट और ब्राइट, डेनमार्क के एएयूएसएटी3 और ब्रिटेन के स्ट्रैंड के अतिरिक्त कनाडा के एक सूक्ष्म-उपग्रह नियोससैट और एक लघु-उपग्रह सैफाइर भी पीएसएलवी से प्रक्षेपित किया गया. इस प्रक्षेपण के साथ ही पीएसएलवी ने लगातार 23 सफल प्रक्षेपणों का अपना सिलसिला पूरा किया. इस क्रम में पहला अभियान विफल रहा था.

अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया दौर शुरु करते हुए भारत ने एक जुलाई को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी के जरिये नौवहन को समर्पित अपना पहला उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया.

नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस के अनुप्रयोगों में नक्शा तैयार करना, जियोडेटिक आंकड़े जुटाना, समय का बिल्कुल सही पता लगाना, चालकों के लिए दृश्य और ध्वनि के जरिये नौवहन की जानकारी, मोबाइल फोनों के साथ एकीकरण, भूभागीय..हवाई तथा समुद्री नौवहन तथा यात्रियों एवं लंबी यात्रा करने वालों को भूभागीय नौवहन की जानकारी देना आदि शामिल हैं. आईआरएनएसएस के इस मिशन की मियाद 10 साल की है.

पूर्व में पीएसएलवी – सी22 के दूसरे चरण में इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक कंट्रोल एक्चुएटर्स में से एक में खराबी आने की वजह से इसरो ने 12 जून को नियत आईआरएनएसएस-1ए का प्रक्षेपण एक पखवाड़े के लिए टाल दिया था. खामी दूर करने के बाद प्रक्षेपण की नई तारीख एक जुलाई तय की गई थी. इसरो ने जियोसिन्क्रोन सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) का प्रक्षेपण दूसरे चरण में ईंधन रिसाव का पता चलने के बाद अंतिम समय में टाल दिया.

भारत ने 26 जुलाई को अत्याधुनिक मौसम उपग्रह इनसैट-3डी का फ्रेंच गुयाना के कोरु अंतरिक्ष केंद्र से एक यूरोपीय रॉकेट के जरिए सफल प्रक्षेपण किया. इसका उद्देश्य मौसम की भविष्यवाणी करने और आपदा की चेतावनी देने के क्षेत्र में देश की क्षमताओं में इजाफा करना है.

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