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एक बार फिर असुरक्षित हुआ है रांची-डालटनगंज मुख्य सड़क

रांची: दोनों घटनाएं तीन दिनों के भीतर हुई हैं. वह भी एनएच-75 पर. इन घटनाओं के बाद इस रोड से आने-जाने वाले राजनेता, पुलिस अफसर व आमलोग इस सड़क को असुरक्षित मानने लगे हैं. माओवादियों के खिलाफ दर्जनों अभियान चलाने व अमझरिया में सीआरपीएफ कैंप लगाने के बाद एनएच-75 (रांची-पलामू रोड) को पुलिस ने सुरक्षित […]

रांची: दोनों घटनाएं तीन दिनों के भीतर हुई हैं. वह भी एनएच-75 पर. इन घटनाओं के बाद इस रोड से आने-जाने वाले राजनेता, पुलिस अफसर व आमलोग इस सड़क को असुरक्षित मानने लगे हैं. माओवादियों के खिलाफ दर्जनों अभियान चलाने व अमझरिया में सीआरपीएफ कैंप लगाने के बाद एनएच-75 (रांची-पलामू रोड) को पुलिस ने सुरक्षित बनाया था, लेकिन हाल की दो घटनाओं और पुलिस की बचाववाले रुख ने इस रोड को फिर से असुरक्षित बना दिया है. दो घटनाओं के बाद भी पुलिस सड़क किनारे लगाये गये लैंड माइन को नहीं खोज पायी है. हर घटना के बाद अधिकारी यह कह रहे थे कि फोर्स वापस लौट आये. पुलिस राजनेताओं को यह सलाह भी दे रही है कि वह कुछ दिनों तक इस सड़क से न गुजरें, ताकि पुलिस को आना-जाना न पड़े.

12 लैंड माइन लगा रखे थे माओवादियों ने
लातेहार: लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र में एनएच-75 पर देवबार और करमाही के बीच माओवादियों ने 12 लैंड माइन लगा रखे थे. सभी लैंड माइन को कार्बन से लपेट कर जमीन के नीचे गाड़ा गया था, ताकि मेटल डिटेक्टर से लैंड माइन का पता न चले.

पुलिस के मुताबिक माओवादियों ने चार या पांच दिसंबर को लैंड माइन लगाये थे. बमों को सड़क से तीन फीट नीचे गड्ढा खोद कर लगाया गया था. उसके बाद उसे पीच से इस प्रकार पैच-अप किया गया था कि सड़क क्षतिग्रस्त नहीं लगे. विस्फोट स्थल पर तीन-तीन फीट की दूरी पर बम प्लांट किये गये थे. प्रत्येक स्थान पर चार-चार बम लगाये गये थे, जिसे एक सीरीज में जोड़ कर विस्फोट किया गया था. विस्फोट में 20 फीट की परिधि में पांच फीट का गड्ढा हो गया है. इसके अलावा सड़क के किनारे अलग-अलग स्थानों पर 12 बम लगाये थे, ताकि यदि पुलिस विस्फोट के बाद आसपास छिप कर मोरचा ले, तो वहां विस्फोट किया जा सके.

ग्रीन हंट ब्रेक के तहत हुई कार्रवाई
भाकपा माओवादी बिहार रिजोनल मिलिट्री कमिशन के प्रवक्ता प्रशांत ने एक प्रेस बयान जारी कर गत नौ से 11 दिसंबर तक राष्ट्रीय उच्च पथ 75 पर मनिका के निकट स्थित हुरहुरी-टोंगरी एवं सीआरपीएफ बेस कैंप पतकी के पास स्थित देवबार मोड़ पर हुए बारूदी विस्फोट कांड की जिम्मेवारी ली है. जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पीएलजीए जनमुक्ति छापामार सेना की टुकड़ी ने यह कार्रवाई की है. केंद्र की कांग्रेस सरकार ऑपरेशन ग्रीन हंट चला रही है. उसके जवाब में माओवादियों की तरफ से ऑपरेशन ग्रीन हंट ब्रेक ऑपरेशन चलाया जा रहा है. यह पहला जवाबी हमला है. प्रशांत ने आगे कहा है कि गत दो से आठ दिसंबर तक पीएलजीए द्वारा ऐतिहासिक साप्ताहिक दिवस समारोह को सफल बनाने के लिए पूरी तरह गोपनीय ढंग से यह कार्रवाई की गयी, लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ तकनीकी त्रुटि के कारण वे अपने मंसूबों को अंजाम नहीं दे सके.

सूचना तंत्र काम नहीं कर रहा
लातेहार के मनिका में यह स्थिति एक-दो दिन में नहीं बनी है. लातेहार पुलिस की आमलोगों से दूर होते जाने की वजह से नक्सली सड़क किनारे लैंड माइन लगा गये और पुलिस को पता हीं नहीं चला. जिला स्तर का सूचना तंत्र पहले से खत्म है. अब स्पेशल ब्रांच की तरफ से भी कोई सूचना जिला पुलिस तक नहीं पहुंच पा रही है. जो पहुंचती भी है, उस पर जिला स्तर से कोई कार्रवाई नहीं होती.

माओवादी हताशा में कार्रवाई कर रहे हैं: डीजीपी
राज्य के डीजीपी राजीव कुमार गुरुवार को पुलिस अधिकारियों के साथ लातेहार पहुंचे. उन्होंने मनिका थाना क्षेत्र में एनएच- 75 पर हुए बारूदी सुरंग विस्फोट स्थल कर निरीक्षण किया. उनके साथ पलामू जोन के आइजी आरके मल्लिक, आइजी अभियान मुरारी लाल मीणा, सीआरपीएफ के आइजी आरके राय, डीआइजी आरके धान एवं एसपी डॉ माइकल राज एस व सीआरपीएफ 11 वीं बटालियन के कमाडेंट एसएन पांडेय भी थे. डीजीपी ने घटना स्थल का मुआयना किया एवं अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया. पत्रकारों से बातचीत करते हुए डीजीपी ने कहा कि पुलिस द्वारा माओवादियों के विरुद्ध आपरेशन चलाया जा रहा है. इसी हताशा से उबरने के लिए माओवादी ऐसी कार्रवाई कर रहे हैं. इससे पहले डीजीपी ने सीआरपीएफ 11 वीं बटालियन के सभागार में एक उच्चस्तरीय बैठक की.

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