जमशेदपुर: ओड़िया भाषा को क्लासिकल लैंग्वेज की मान्यता मिलने के बाद अब देश का ओड़िया समाज गूगल से संपर्क में हैं ताकि शीघ्र ओड़िया लिपि में गूगल की सुविधा मिले.उत्कल समाज, गोलमुरी में हालिया संपन्न साहित्य समारोह सारस्वत 2013 में बतौर विशिष्ट अतिथि राज्य के पुलिस महानिदेशक बीबी प्रधान ने कहा था कि कुछ तकनीकी कारणों से अभी यह शुरू नहीं हुई है. इन तकनीकी कारणों का निदान तलाशा जा रहा है. वर्ष 2008 में गूगल से संपर्क कर ओड़िया लिपि को भी शामिल करने की मांग हुई थी.
हालांकि इस पर प्रगति काफी धीमी रही और अब तक यह संभव नहीं हो पाया है. इस बीच भारत सरकार ओड़िया को क्लासिकल लैंग्वेज की मान्यता दे चुकी है. ओड़िया के अनुवाद की सुविधा की व्यवस्था तो है लेकिन अलग से इसके लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना होता है जबकि गूगल नौ भाषाओं में अपनी सेवा ऑफर कर रही है. जिसमें ओड़िया को छोड़ कर देश की मातृभाषा हिंदी सहित आठ क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हैं.
गूगल इंडिया नौ भाषाएं कर रही ऑफर
हिंदी, तेलुगू, कन्नड, पंजाबी, मराठी, गुजराती, मलयालम,बंगाली व तमिल में गूगल का प्रयोग हो रहा है. जबकि ओड़िया की अपनी लिपि होने के बावजूद इससे अब तक गूगल की सेवा संभव नहीं हो पायी है.
क्यों है जरूरत : ओड़िया समाज के करोड़ों लोग जो अंगरेजी में अच्छी तरह दक्ष नहीं है वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे लोगों को इंटरनेट और कंप्यूटर की दुनिया से जोड़ने के लिए यह अत्यावश्यक माना जा रहा है. ओड़िशा के शीर्ष साहित्य संगठन ओड़िशा साहित्य अकादमी सहित देश के अलग-अलग राज्यों में फैले संगठनों ने एक मंच से इसकी मांग की है. समाज द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि चीन, जापान, रसिया जैसे देशों में वहां की स्थानीय भाषा में गूगल अपनी सेवा ऑफर कर रहा है जिससे वहां कंप्यूटर का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा लोग कर रहे हैं. इसके विपरीत भारत में एक बड़ी आबादी जिनकी मातृभाषा ओड़िया है वे इससे वंचित हैं.