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विभागीय स्तर पर नहीं उलझी योजना

पटना : राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (श्रम संसाधन विभाग) के कार्यकारी निदेशक ने प्रभात खबर के दिनांक सात दिसंबर, 2013 के अंक में प्रकाशित समाचार शीर्षक फाइलों में फंसा गरीबों का इलाज पर अपना पक्ष भेजा है. प्रकाशित खबर में कहा गया था कि सरकारी फाइलों में उलझने के कारण 18 जिलों में इस योजना […]

पटना : राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (श्रम संसाधन विभाग) के कार्यकारी निदेशक ने प्रभात खबर के दिनांक सात दिसंबर, 2013 के अंक में प्रकाशित समाचार शीर्षक फाइलों में फंसा गरीबों का इलाज पर अपना पक्ष भेजा है.

प्रकाशित खबर में कहा गया था कि सरकारी फाइलों में उलझने के कारण 18 जिलों में इस योजना की अवधि समाप्त हो गयी है.

निविदा प्रकाशित हुई थी

कार्यकारी निदेशक का कहना है कि बिहार के 31 जिलों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए निविदा प्रकाशित की गयी थी. मूल्यांकन समिति द्वारा प्राप्त निविदाओं के आधार पर विभिन्न जिलों के लिए न्यूनतम प्रीमियम दर और न्यूनतम दर वाली बीमा कंपनी के नाम का निर्धारण कर लिया गया, जिसकी स्वीकृति भी प्राप्त हो गयी. यह दर विगत वर्ष के दर से कम है.

दो बीमा कंपनियों के द्वारा इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में वाद (संख्या 17628/2013 व 22107/2013) दायर किया गया है, जिसमें अदालत ने टेंडर में आगे की कार्रवाई एवं कार्य आदेश निर्गत करने पर रोक लगा दी है.

टेंडर की कार्रवाई प्रक्रिया में

उनका कहना है कि विभागीय स्तर पर न तो इसे उलझाया गया है और न हीं इसे भगवान भरोसे छोड़ा गया है. इसमें लापरवाही भी नहीं की गयी है. निदेशक ने स्पष्ट किया है कि शेष सात जिलों के लिए भी टेंडर की कार्रवाई प्रक्रिया में है और ससमय कार्रवाई कर ली जायेगी.

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