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रंगभेद के खिलाफ अभियान का महानायक : कैदी नंबर 466

नयी दिल्ली : रंगभेद के खिलाफ अभियान चलाने वाले महानायक नेल्सन मंडेला करीब 27 वर्ष तक जेल में रहे लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है कि उन्हें गुप्त रुप से दक्षिण अफ्रीका छोड़कर दूसरे देश में जाने और लोगों को हड़ताल के लिए भड़काने जैसे मामूली आरोप में इतनी लम्बी अवधि तक जेल […]

नयी दिल्ली : रंगभेद के खिलाफ अभियान चलाने वाले महानायक नेल्सन मंडेला करीब 27 वर्ष तक जेल में रहे लेकिन कम ही लोगों को इसकी जानकारी है कि उन्हें गुप्त रुप से दक्षिण अफ्रीका छोड़कर दूसरे देश में जाने और लोगों को हड़ताल के लिए भड़काने जैसे मामूली आरोप में इतनी लम्बी अवधि तक जेल में रहना पडा. जेल में वह जेल में कैदी नंबर 466 बटा 64 के रुप में रहे.

प्रसिद्ध लेखक जॉन मलाम की पुस्तक द रिलीज ऑफ नेल्सन मंडेला के अनुसार, साल 1962 में मंडेला ने गुप्त रुप से दक्षिण अफ्रीका छोड़ दिया था और वह एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए इथोपिया गए थे जहां उनकी भेंट कई अफ्रीकी देशों के नेताओं के साथ हुई. मंडेला ने इन नेताओं को अपने देश की समस्याओं के बारे में बताया जिन्होंने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के इस संघर्ष का समर्थन करने का भरोसा दिलाया था. मदीबा के नाम से मशहूर नेल्सन मंडेला कई महीनों तक देश से बाहर रहे और इस दौरान दक्षिण अफ्रीका की स्वतंत्रता के अपने मिशन पर काम किया.

देश वापस लौटने पर मंडेला को पांच अगस्त 1962 को गिरफ्तार कर लिया गया और गुप्त रुप से दक्षिण अफ्रीका छोड़कर दूसरे देश जाने और हड़ताल भड़काने का आरोप लगाया गया. जिस समय मंडेला को गिरफ्तार किया गया, उस समय वे ड्राइवर डेविड मोत्समयी के रुप में जोहांसवर्ग जा रहे थे.

मंडेला ने इस मामले की सुनवाई को दक्षिण अफ्रीका के लोगों की आकांक्षाओं पर अभियोग के रुप में लिया और अपनी पैरवी खुद करने का निर्णय किया. मंडेला ने इस मामले में मजिस्ट्रेट को हितों के टकराव के आधार पर हटाये जाने की मांग की.

मंडेला ने कहा, मैं रंगभेद से नफरत करता हूं क्योंकि मैं इसे बर्बरतापूर्ण मानता हूं, चाहे इसमें काले लोग शामिल हो या गोरे लोग. मंडेला को दोषी ठहरा दिया गया और पांच वर्ष कारागार की सजा सुनाई गई. उन्हें मई 1963 में रोबिन आईलैंड में स्थानांतरित कर दिया गया और जुलाई में प्रीटोरिया लाया गया.

अधिकारियों ने कहा कि पीएसी कैदियों के हमले से बचाने के लिए मंडेला को यहां लाया गया है. जबकि मंडेला ने कहा कि यह गलत है, उन्हें किसी और इरादे से प्रीटोरिया लाया गया है. इस पूरे घटनाक्रम की सुनवाई के दौरान अदालत में मंडेला का बयान रंगभेद के विरोध के इतिहास की शानदार मिसाल है.

मंडेला ने कहा था, मैंने श्वेतों के प्रभुत्व के खिलाफ संघर्ष किया, साथ ही मैंने अश्वेतों के प्रभुत्व के खिलाफ भी संघर्ष किया. मैंने लोकतांत्रिक और मुक्त समाज के आदशरे का अनुसरण किया है जहां सभी लोग सौहार्द के साथ एकसाथ रह सके और उन्हें समान अवसर मिलें. उन्होंने कहा था, यह ऐसा आदर्श है जिसके लिए मैं जीने और उसे हासिल करने की उम्मीद करता हूं लेकिन अगर जरुरत पड़ी तब ऐसे आदशरे के लिए मैं मरने को भी तैयार हूं.

इस मामले में उन्हें और कुछ अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया गया और 12 जून 1964 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. उन्हें गुप्त रुप से रोबिन आईलैंड भेज दिया गया. यहां नेल्सन मंडेला कैदी संख्या 466 बटा 64 के रुप में करीब 27 वर्ष रहे.

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