आरके नीरद
मित्रों, बात शराब की हो, या सिगरेट-बीड़ी की, बरबादी की वजह दोनों हैं. इनसे केवल वे लोग प्रभावित नहीं होते हैं, जो इनका सेवन करते हैं. इनका दुष्परिणाम उन पर भी पड़ता है, जो ऐसे लोगों के आसपास होते हैं या उस परिवेश में रहते हैं. शराब पीकर समाज और आसपास के लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले तो अपने हंगामे और अपनी आपराधिक गतिविधियों के कारण दिख जाते हैं, लेकिन धूम्रपान के जरिये दूसरों के शरीर में जहर भरने वालों पर अमूमन हमारा ध्यान नहीं जाता, जबकि वैज्ञानिक शोध में यह बात साबित हो चुका है कि सेकेंड हैंड स्मोक यानी धूम्रपान करने वाले द्वारा उड़ाये गये धुएं के संपर्क में आ कर भी लोग उसी तरह गंभीर बीमारी के शिकायत होते हैं, जिस तरह धूम्रपान करने वाले. यहां तक कि यह धुआं खाने-पाने की चीजों को भी दूषित करता है.
वहीं शराब से व्यक्ति, परिवार और समाज को भारी नुकसान उठाना होता है. धूम्रपान को लेकर देश में कानून है. शराब के उत्पादन, कारोबार और बिक्री को नियंत्रित करने के लिए भी विभाग, कानून और नियम हैं. इन सब का कितना पालन हो रहा है, यह जानना आपका अधिकार है. जहां इनका उल्लंघन हो रहा है, वहां आप आवाज उठा सकते हैं.
इसमें आरटीआइ भी आपकी मदद कर सकता है. सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है. होटल और रेस्तरां में इसकी इजाजत देने की शर्ते हैं. सरकारी और गैर सरकारी सभी दफ्तरों में ‘धूम्रपान प्रतिबंधित क्षेत्र’ का बोर्ड लगाया जाना है. संस्थान के अध्यक्षों को दोषी व्यक्ति से जुर्माना वसूल कर सरकार के कोष में जमा करना है. इन सब प्रावधानों का पालन हो रहा है या नहीं, यह जांचने के लिए समय-समय पर छापेमारी की जानी है. क्या है इस संबंध में नियम-कानून? हम इस अंक में इन्हीं विषयों की जानकारी दे रहे हैं.
शराब को लेकर राज्य में कानून भी है और विभाग भी. शराब से जुड़े कानून को लागू करने का दायित्व उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग पर है. यह राज्य सरकार का एक ऐसा विभाग है, जो गैर योजना का है. इसका मुख्य काम लोगों को अवैध एवं जहरीली शराब के सेवन से बचाना, शुद्ध शराब का उत्पादन व पुनर्निर्माण कराना, निर्धारित माध्यम से शराब की खरीद-बिक्री की व्यवस्था एवं नियंत्रण तथा उत्पाद राजस्व की वसूली है. मद्य यानी शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन जहां एक ओर जनता में इसकी मांग है, वहीं सरकार की आय का यह बड़ा स्नेत है. इसका अवैध कारोबार भी कम बड़ा नहीं है. इसलिए किसी भी राज्य का सबसे संवेदनशील विभाग यही है. शराब के कारोबारियों में धनी और ताकतवर लोग होते हैं. उनका अपना सिंडिकेट होता है. इस सिंडिकेट को कानून के दायरे में रखना इस विभाग की बड़ी जवाबदेही है.
निषेध और प्रोत्साहन दोनों
शराब यानी मद्य को लेकर समाज और सरकार की स्थिति पूर्णत: विरोधाभासी है. सरकार पर एक कल्याणकारी राज्य की जिम्मेवारी निभाने के लिए इस बात के व्यापक प्रचार और जागरूकता के प्रसार का दायित्व है कि शराब पीने से धन और स्वास्थ्य दोनों का नुकसान है. सरकारी प्रचार तंत्र समाज में इस नारे को जन-जन तक पहुंचाने में जुटा है कि ‘नशा का जो हुआ शिकार, उजड़ा उसका घर परिवार’. दूसरी ओर समाज में शराब की मांग पूरी करने का भी सरकार पर दवाब है और सरकार को सबसे ज्यादा आय उत्पाद राजस्व से है. इन सबके बीच संतुलन बनाना इस विभाग का काम है. अनुभव के आधार पर कहा जाता है कि समाज के पिछड़े वर्ग में शराब हमेशा ही बरबादी का कारण बनी है. इसलिए वैसे क्षेत्रों में, जहां अनुसूचित जाति और जनजाति की संख्या 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, शराब की दुकान खोलने पर प्रतिबंध लगाना या उसे नियंत्रित करना इस विभाग की प्राथमिकताओं में शामिल है.
विभाग को इन मामलों में कार्रवाई और राजस्व वसूली का है अधिकार
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग पर जिन विषयों में राजस्व वसूली और कार्रवाई का अधिकार है, वे हैं :
मानव उपयोग के लिए देशी, मसालेदार एवं विदेशी मदिरा का उत्पादन, विनिर्माण, परिवहन, विनियमित करना.
अल्कोहल पर आधारित उद्योगों को दिये जानेवाले संशोधित सुषव / विकृत सुषव, जिसे इंडस्ट्रियल अल्कोहल भी कहते हैं, का निर्माण, परिवहन, आयात, व्यवहार.
अफीम, भांग तथा अन्य नारकोटिक पदार्थ या स्वापक औषधियों का मानव उपयोग के रूप में व्यवहार.
अल्कोहल या स्वापक पदार्थ से युक्त औषधीय एवं प्रसाधन निर्मितियों का जन अल्कोहलिक पेय के रूप में उपभोग का व्यवहार.
छोआ उत्पादन, परिवहन, आयात, निर्यात तथा उनका व्यवहार.
राज्य में विभाग की स्थिति
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग में आयुक्त उत्पाद-सह-सचिव की सहायता के लिए उपायुक्त उत्पाद, सहायक आयुक्त उत्पाद तथा एक अवर सचिव, दो प्रशाखा पदाधिकारी एवं पांच सहायक एवं अन्य जूनियर कर्मचारी तैनात हैं.
प्रमंडलीय स्तर पर भी अधिकारी
प्रमंडलीय स्तर पर उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल, दक्षिणी छोटानागपुर-सह-पलामू-सह-कोल्हान प्रमंडल एवं संताल परगना प्रमंडल के लिए उपायुक्त उत्पाद का एक-एक स्वीकृत है.
जिला स्तर पर विभाग की स्थिति
जिला उत्पाद प्रशासन, जिला उपायुक्तों के अधीन हैं, जिनके सहयोग के लिए रांची, धनबाद, बोकारो, हजारीबाग तथा पूर्वी सिंहभूम में एक-एक सहायक आयुक्त उत्पाद हैं. गुमला, पलामू, पश्चिमी सिंहभूम, गिरीडीह, देवघर, दुमका एवं साहेबगंज में एक-एक अधीक्षक उत्पाद हैं. अभी राज्य में उत्पाद जिलों की संख्या केवल 12 है, जिनमें रांची के साथ खूंटी, हजारीबाग जिले के साथ कोडरमा एवं चतरा, गुमला के साथ सिमडेगा एवं लोहरदगा, पलामू के साथ गढ़वा एवं लातेहार, पश्चिमी सिंहभूम के साथ सरायकेला-खरसावां, दुमका के साथ जामताड़ा एवं गोड्डा तथा साहेबगंज के साथ पाकुड़ जिला को संयुक्त प्रभार में रखा गया है. जिलों में निरीक्षक उत्पाद, अवर निरीक्षक उत्पाद, सहायक अवर निरीक्षक उत्पाद एवं उत्पाद सिपाही की व्यवस्था है.
अनुमंडल स्तर पर विभाग का हाल
अनुमंडल स्तर पर विभाग के पदाधिकारियों और सिपाहियों के करीब 50 प्रतिशत पद रिक्त हैं. इस स्तर पर उत्पाद निरीक्षक से उत्पाद सिपाही तक के चार श्रेणी के कर्मी व पदाधिकारी हैं, जिनके कुल 829 पद सृजित हैं. इनमें से आधे पद खाली हैं. 413 पदाधिकारी व कर्मी ही कार्यरत हैं.
पद स्वीकृत कार्यरत
निरीक्षक उत्पाद 33 22
अवर निरीक्षक उत्पाद 133 68
सहायक अवर निरीक्षक 91 34
उत्पाद सिपाही 572 289
विभाग का ढांचा
आयुक्त उत्पाद-सह-सचिव
उपायुक्त उत्पाद
सहायक आयुक्त उत्पाद
अधीक्षक उत्पाद
निरीक्षक उत्पाद
अवर निरीक्षक उत्पाद
सहायक अवर निरीक्षक उत्पाद
उत्पाद सिपाही
उत्पाद अधिकारी के संपर्क सूत्र
सुधीर प्रसाद, अतिरिक्त मुख्य सचिव : 0651-2400709
सत्येंद्र सिंह, उत्पाद आयुक्त : 0651-2400213
मनोज कुमार, विशेष सचिव : 0651-2400508
शराब संबंधी कानून
झारखंड उत्पाद अधिनियम 1915
झारखंड छोआ नियंत्रण अधिनियम, 1947
औषधीयों एवं प्रसाधन निर्मितियां (उत्पाद शुल्क) अधिनियम, 1955
स्वापक द्रव्य एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985
इन से मांगें सूचना
मुख्यालय स्तर
जन सूचना पदाधिकारी : अपर सचिव, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
सहायक जन सूचना पदाधिकारी : अवर सचिव, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
प्रथम अपीलीय अधिकारी : सचिव, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
इन सब का पता
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
गोल चक्कर के निकट, धुर्वा, रांची
जिला स्तर पर
जन सूचना पदाधिकारी : उत्पाद अधीक्षक, बोकारो, गुमला/ सिमडेगा/लोहरदागा, पश्चिमी सिंहभूम/सरायकेला-खरसावां, गिरीडीह, देवघर.
जन सूचना पदाधिकारी : उत्पाद निरीक्षक, पूर्वी सिंहभूम, पलामू, गढ़वा, लातेहार, दुमका/ गोड्डा/ जामताड़ा / साहिबगंज/ पाकुड़.
प्रथम अपीलीय पदाधिकारी : प्रमंडलीय आयुक्त.
द्वितीय अपील
राज्य सूचना आयोग, इंजीनियरिंग हॉस्टल नंबर-2, धुर्वा, रांची
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