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अध्यादेश के बहाने विवादास्पद कानून लागू करने पर प्रणब ने जतायी चिंता

कोलकाता: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश के जरिये विवादास्पद कानून लागू करने की कुछ राज्यों की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि तत्काल आवश्यकता होने की स्थिति में ही इन माध्यमों को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा : कुछ राज्य अध्यादेशों के जरिये विशेष विवादास्पद कानूनों को जल्दी लागू करते […]

कोलकाता: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश के जरिये विवादास्पद कानून लागू करने की कुछ राज्यों की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि तत्काल आवश्यकता होने की स्थिति में ही इन माध्यमों को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा : कुछ राज्य अध्यादेशों के जरिये विशेष विवादास्पद कानूनों को जल्दी लागू करते प्रतीत हो रहे हैं.

इन अध्यादेशों को सदन की स्वीकृति नहीं मिलती है और इन पर विधायक उचित रूप से बहस या चर्चा नहीं करते हैं. यदि विधानसभा उन्हें अनुमति नहीं देती है तो ऐसे अध्यादेशों को सामान्य तौर पर स्वाभाविक रूप से समाप्त हो जाना चाहिए. वह विधानसभा के प्लैटिनम जुबली समारोह के समापन मौके पर संबोधित कर रहे थे.

सदन में सदस्यों की कमी से चिंतित
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद और विधानसभाओं के सत्र में भाग लेनेवाले सदस्यों की संख्या कमी आने पर भी चिंता जतायी. मुखर्जी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के जन प्रतिनिधियों द्वारा विधायिका के कामकाज के लिए वक्त देने में धीरे धीरे कमी आ रही है. प्रथम लोकसभा में 1952 से 57 के बीच 677 बैठकें हुई थी, जिनमें 319 विधेयक पारित किये गये थे. इसकी तुलना में 14वीं लोकसभा में 2004 से 09 के बीच सिर्फ 332 बैठकें हुई और सिर्फ 247 विधेयक पारित हुए. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की प्रथम विधानसभा में 1952 से 57 के बीच 326 दिन सदन की कार्यवाही चली, जबकि 14 वीं विधानसभा में 2006 से 11 के बीच सिर्फ 231 दिन कार्यवाही चली. 2011 में 33 दिन तथा 2012 में 41 दिन विधानसभा की कार्यवाही चली.

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