रांची: प्रेरणा भारती की सचिव डॉ कल्याणी मीना ने कहा कि पुरुष अपने सोच और व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाकर समानता आधारित व हिंसा मुक्त परिवार और समाज की स्थापना कर सकता है. हर पुरुष हिंसक नहीं होता और सारे पुरुष हिंसा का समर्थन नहीं करते. महिलाओं के साथ गैर बराबरी, भेदभाव और हिंसा के खिलाफ बहुत सारे पुरुष बेचैन रहते हैं. पर उनकी चुप्पी हिंसा व भेदभाव का सबसे बड़ा कारण बनती है. महिला हिंसा समाप्त करने व जेंडर समानता लाने में पुरुषों के साथ काम करने की जरूरत है. वे बुधवार को एसडीसी में आयोजित फोरम टु इंगेज मेन (फेम) फॉर जेंडर इक्वलिटी झारखंड और सीएचएसजे नयी दिल्ली की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय समझौता 1989, बाल श्रम उन्मूलन कानून, शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009, किशोर न्याय कानून, बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन और बाल यौन शोषण कानून जैसे सुरक्षात्मक उपायों के बावजूद बच्चों की स्थिति अच्छी नहीं है. पिता को बच्चों की देखभाल व पालन पोषण से जोड़ने की प्रक्रिया पितृसत्तात्मक संरचना को चुनौती देगी व पुरुष व महिलाओं को भावनात्मक रूप से बच्चों के निकट लायेगी.
इस अवसर पर आशा संस्था के अजय कुमार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर विजुअल प्रेजेंटेशन किया. राजीव रंजन सिन्हा ने फेम झारखंड के बारे में बताया. एचआइ फातमी ने भी विचार रखे.