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उदारवादी छवि बनाने की कोशिश!

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले संविधान के अनुच्छेद 370 पर बहस चाहते हैं. अपने चुनाव प्रचार अभियान को आगे बढ़ाते हुए जम्मू पहुंचे नरेंद्र मोदी ने वहां एक रैली में कहा कि अगर वाकई इससे राज्य को फायदा हो रहा है, तो भाजपा इसे जारी रखने के […]

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले संविधान के अनुच्छेद 370 पर बहस चाहते हैं. अपने चुनाव प्रचार अभियान को आगे बढ़ाते हुए जम्मू पहुंचे नरेंद्र मोदी ने वहां एक रैली में कहा कि अगर वाकई इससे राज्य को फायदा हो रहा है, तो भाजपा इसे जारी रखने के पक्ष में है.

जम्मू में नरेंद्र मोदी का बयान भाजपा के राजनीतिक सोच में आ रहे एक बड़े बदलाव का संकेत माना जा सकता है. अनुच्छेद 370 को समाप्त करना, देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना, भाजपा के परंपरागत और दिल के करीब मुद्दे रहे हैं.

यह बात अलग है कि एनडीए शासनकाल में भाजपा ने इन मुद्दों को ठंडे बस्ते में रखने में ही भलाई समझी, लेकिन आधिकारिक तौर पर पार्टी ने इन मुद्दों को कभी छोड़ा नहीं था. 2009 के चुनाव घोषणापत्र में पार्टी ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहरायी थी.

ऐसे में अगर नरेंद्र मोदी जम्मू में अपनी पहली चुनावी सभा में अनुच्छेद 370 पर बहस कराने और इसे जारी रखने की बात करें, तो इसे एक गहरे निहितार्थो से भरे राजनीतिक कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए. इसका एक अर्थ यह निकाला जा सकता है कि मोदी अपनी छवि उदारवादी नेता की बनाना चाहते हैं.

सभी नागरिकों की समान पहचान की वकालत करनेवाली पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी की रैलियों में जिस तरह से मुसलमानों के लिए अलग ड्रेस कोड पर जोर दिया गया और टोपीधारी पुरुषों और बुर्काधारी महिलाओं की उपस्थिति को मोदी की बढ़ती स्वीकार्यता के प्रमाण के तौर पर पेश करने की कोशिश की गयी, उसमें भी मोदी की इस ख्वाहिश को पढ़ा जा सकता है.

अनुच्छेद 370 के संवेदनशील मसले पर नरमी दिखा कर एक तरह से नरेंद्र मोदी यह तथ्य स्वीकार कर रहे हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नये सहयोगियों की तलाश करना, 272 के जादुई आंकड़े को छूने के लिए जरूरी है. फिलहाल यह देखना शेष है कि मोदी के इस रुख को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना समर्थन देता है या नहीं! या जुबान फिसलने के मौसम में यह एक और ‘स्लिप ऑफ टंग’ ही साबित होता है!

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