जमालपुर: बीएमपी के जवानों का उग्रपंथियों, नक्सलियों एवं माओवादियों के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान शहादत का इतिहास रहा है. जमालपुर स्थित बिहार सैन्य पुलिस नौ भी शहीद के मामले में पीछे नहीं है. यह अलग बात है कि बीएमपी नौ परिसर में बनायी गयी शहीद वेदी में कुछ शहीदों के नाम स्वर्ण अक्षर में लिखे गये हैं. बावजूद इसके कुछ अन्य रणवांकुरें भी हैं जिन्होंने अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया.
जानकार बताते हैं कि सर्व प्रथम 25 जून 1976 को भोजपुर जिले के वंशीडिहरी गांव में उग्रपंथियों के साथ हुए भिड़ंत में बीएमपी 9 के सिपाही 204 परमेश्वर सिंह तथा 188 मो. शरफुद्दीन ने अपना बलिदान देकर शहीदों की सूची में यहां पहला नाम दर्ज कराया. इसके साथ ही विगत 13 सितंबर 1999 को पटना के मसौढ़ी में इसी प्रकार की घटना का शिकार होकर सिपाही 495 सूर्य नारायण सिंह अमर बलिदानों की सूची में शामिल हुए. इसके कुछ महीने बाद ही गढ़वा, मंङिायां गांव में बारूदी सुरंग की चपेट में आ कर बीएमपी 9 के आठ जांवाज जवानों ने अपनी कुरबानी दी थी. इन अमरशहीदों में हवलदार चंद्रकेत सिंह, सिपाही 150 हरेंद्र कुमार आचार्य, 256 बालेश्वर सोरेन, 402 जगत नारायण पांडेय, 448 योगेंद्र कुमार सिंह, सिपाही 608 सुनील कुमार, 640 शत्रुघA सिंह एवं 632 रामेश्वर प्रसाद मेहता शामिल थे. पुन: वर्ष 2007 में भी बीएमपी 9 के जवानों ने अपनी कुरबानी देकर अपने कैंप का नाम रौशन किया था. तब 22 फरवरी को लखीसराय जिले के कजरा थाना अंतर्गत खैरा ग्राम में नक्सलियों से लोहा लेते यहां के दो हवलदार और दो जवानों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था. इनमें हवलदार शमशूल होदा एवं हवलदार मंगू उरांव सहित सिपाही 452 बालेश्वर टुडू तथा 314 श्यामाकांत यादव शामिल थे. आज भी बीएमपी-9 के जवानों को अपने शहीद शूर-वीरों के ऊपर फक्र है.