भागलपुर: राजबीर कंस्ट्रक्शन के कार्यालय व आवास पर आयकर विभाग की छापेमारी शुक्रवार सुबह करीब साढ़े सात बजे समाप्त हो गयी. आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा की टीम ने बुधवार को ही कंस्ट्रक्शन कंपनी के चार शहरों में सात ठिकानों पर एक साथ दबिश दी थी. भागलपुर के अलावा रांची, जामताड़ा व कोलकाता में की गयी छापेमारी में करीब 40 लाख रुपये अधिक के नकदी, 40-50 बैंक खातों के पासबुक, करोड़ों के निवेश व प्रोपर्टी व फ्लैट के कागजात जब्त किये हैं.
आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा की ओर से कंस्ट्रक्शन कंपनी के भागलपुर के अंकुर अपार्टमेंट, बंशीकुंज स्थित आवास, गोशाला रोड स्थित कार्यालय, रांची के हरिओम टावर स्थित ऑफिस व आवास, जामताड़ा के डायवर्सी व्यापार प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता में मां नारायणी कंस्ट्रक्शन व राजबीर कंस्ट्रक्शन आदि ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की गयी थी. विभागीय पदाधिकारी के अनुसार छापेमारी में जब्त किये गये कागजातों की फिलहाल गहन जांच-पड़ताल की जा रही है. छापेमारी में कंपनी के मालिकों ने स्वयं स्वीकार किया है कि उन्होंने साढ़े आठ करोड़ की अपनी आय फिलहाल छिपायी थी.
हालांकि अधिकारी इससे अधिक आय छिपाने की बात कह रहे हैं. आयकर अधिकारी की मानें तो टैक्स बचाने के लिए कंपनी ने कागजी कंपनी खड़ी कर कागज पर ही कर्मचारी व शेयर होल्डर भी बना लिये. यही नहीं कंपनी बड़े पैमाने पर सरकारी ठेका भी लेती है और अपने निजी कार्यो में भी सरकारी पैसे का इस्तेमाल करती है. एक ही खाते में सरकारी व अपनी निजी कंपनी का पैसा रख कर खाता व पैसे का घालमेल किया जाता है.
जानकार बताते हैं कि आरएन टावर का भी राजबीर कंस्ट्रक्शन द्वारा ही निर्माण कराया जा रहा है और इसमें करीब एक करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है, लेकिन अपने आयकर में कंपनी की ओर से इसका कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है. आयकर अधिकारी ने बताया कि फिलहाल जब्त किये गये सभी कागजात व बैंक अकाउंटों की जांच की जा रही है.
फ्लैट खरीदार से भी पूछताछ होगी. इसके बाद ही सही आंकड़ा सामने आ पायेगा. इसको लेकर कंपनी को भी नोटिस देकर अपना पक्ष रखने का समय दिया जायेगा. आयकर विभाग के संयुक्त निदेशक अरविंद कुमार के निर्देशन में हुई इस छापेमारी का भागलपुर में सहायक निदेशक, अन्वेषण एएच अंसारी नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने बताया कि विभाग की अन्वेषण शाखा इस तरह के सभी लोगों पर कड़ी नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि यदि किसी ने आयकर छिपाया है तो वह एडवांस के रूप में इसे पे कर कार्रवाई व जुर्माना से बच सकते हैं.