अहमदाबाद : एक स्थानीय अदालत ने आज यहां यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम के 7 शिष्यों के खिलाफ आरोप तय किये. ये आरोप आश्रम में अध्ययनरत दो लड़कों की, लापरवाही के कारण मौत होने के सिलसिले में तय किए गए. अदालत में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होने से मामले की सुनवाई शुरु होने का रास्ता साफ हो गया.
पंकज सक्सेना, योगेश भाटी, नील केतन उर्फ खेतान, विकास खेमा, उदय सांघवी, अजय शाह और कौशिक वानी के खिलाफ मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एस वी पारेख के समक्ष आरोप तय किए गए.
मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को तय की गई है और उसी दिन सुनवाई शुरु होने की संभावना है. आसाराम के गुरुकुल में पढ़ रहे दस वर्षीय दीपेश वाघेला और 11 वर्षीय अभिषेक वाघेला के क्षतविक्षत शव 5 जुलाई 2008 को आसाराम के यहां स्थित आश्रम के पीछे साबरमती नदी के किनारे पड़े मिले थे.
दोनों बच्चे 3 जुलाई से लापता थे. दोनों के अभिभावकों का आरोप है कि उनके बच्चों पर आसाराम और उसके बेटे ने ‘‘काला जादू’’ किया था जिसकी वजह से उनकी मौत हुई.
मामले की जांच कर रही सीआईडी ने वर्ष 2009 को आसाराम के सात शिष्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत एक मामला दर्ज किया था. आरोपियों ने गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की. उच्च न्यायालय ने सीआईडी को अपेक्षाकृत कम गंभीर अपराध की धारा 304 (ए) (लापरवाही के कारण मौत) के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया.
इस मुद्दे पर हिंसक आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने जुलाई 2008 को गुजरात उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डी के त्रिवेदी की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की.
5 साल की जांच के बाद न्यायमूर्ति डी के त्रिवेदी आयोग ने इस साल 31 जुलाई को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी. अब तक राज्य सरकार ने रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है.
कई सम्मनों की उपेक्षा करने के बाद दिसंबर 2012 में आसाराम जांच आयोग के समक्ष पेश हुए और खुद पर लगे आरोपों को अपने आश्रम तथा हिंदुत्व की छवि धूमिल करने की साजिश बताया.फिलहाल आसाराम 12 वीं कक्षा की एक लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में जोधपुर जेल में बंद हैं. यह लड़की आसाराम के राजस्थान स्थित आश्रम में पढ़ती थी.