इंदौर: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने आज कहा कि गुजरात में एक युवती की जासूसी कराने के मामले में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जांच से घबराकर अब तक चुप्पी क्यों साधे हुए हैं.
तिवारी ने इंदौर कहा, ‘‘भाजपा के नव श्रृंगारित महानुभाव (मोदी) पिछले एक महीने से आगरा के ताजमहल से लेकर भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे होने जैसे मुद्दों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. लेकिन उनकी ओर से यह स्पष्टीकरण क्यों नहीं आ रहा है कि गुजरात के जासूसी कांड का सच क्या है. वह इस मामले में मौनी बाबा क्यों बने हुए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर मोदी मानते हैं कि वह पाक.साफ हैं, तो ऐसा क्यों नहीं कह देते कि उच्चतम न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश से इस जासूसी कांड की जांच करा ली जाये. वह जांच से घबरा क्यों रहे हैं. उनकी दाढ़ी में ऐसा कौन.सा तिनका है, जिसे वह आम लोगों के सामने नहीं आने देना चाहते.’’
तिवारी ने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली के टेलीफोन रिकॉर्ड की कथित तौर पर अवैध रुप से जानकारी लेने का मामला याद दिलाते हुए कहा, ‘‘इस मामले में भाजपा ने अपने सिर पर आसमान उठा लिया था. लेकिन जब गुजरात में एक महिला के पीछे सीआईडी, एटीएस और पूरे सरकारी तंत्र को लगाने का मामला सामने आता है, तो भाजपा चुप्पी साध लेती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी लड़की के खिलाफ एटीएस से निगरानी कराना मानव अधिकारों का सबसे बड़ा हनन है और भाजपा इसकी दोषी है. यह बात जरुर सामने आयेगी कि भाजपा इस मामले में किस रहस्य को रहस्य बनाये रखना चाहती है.’’
‘तहलका’ के संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ उनकी कनिष्ठ महिला सहयोगी के यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज होने के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने कहा, ‘जब तक इस मामले में जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंचती, इस पर कोई प्रतिक्रिया देना शायद ठीक नहीं रहेगा. हालांकि, हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह जांच प्रक्रिया में पूरा सहयोग करे.’
गोवा में जारी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) से प्रोग्रामर के रुप में जुड़ी 25 वर्षीय लड़की द्वारा उपनिदेशक स्तर के अधिकारी के खिलाफ अश्लील बातों की शिकायत करने पर सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा, ‘यह घटना बहुत दु:खद और दुर्भाग्यपूर्ण है. इस मामले में तुरंत कदम उठाकर जांच समिति बनायी गयी है. इस जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.’ उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले में हर जरुरी प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई करेंगे, क्योंकि हमारे मंत्रलय में यौन उत्पीड़न के मामलों में कोई कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है.’
तिवारी ने कल एक अखबार में छपी खबर के हवाले से कहा कि गुजरात के सचिवालय में पत्रकारों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है और इस तरह की पाबंदी लगाना ‘फासीवादी मानसिकता का प्रदर्शन’ है.