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आदमी व औरत के बीच बढ़ी विषमता

गया : अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति(एडवा) का आजाद पार्क में गुरुवार को आयोजित आमसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय नेत्री व पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि जाति-धर्म को हथियार बना कर निदरेष लोगों की हत्या कराने में विश्वास करने वाला आरएसएस यानी ‘राष्ट्रीय सर्वनाश समिति’ गुजरात का विकास मॉडल दिखा कर भाजपा […]

गया : अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति(एडवा) का आजाद पार्क में गुरुवार को आयोजित आमसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय नेत्री व पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि जाति-धर्म को हथियार बना कर निदरेष लोगों की हत्या कराने में विश्वास करने वाला आरएसएस यानी ‘राष्ट्रीय सर्वनाश समिति’ गुजरात का विकास मॉडल दिखा कर भाजपा को केंद्रीय सत्ता पर काबिज कराना चाहता है.

दूसरी ओर युवतियों के पीछे जासूसी की जाती है, जो काफी शर्म की बात है. नव-उदारवादी नीति के कारण आदमी और औरत के बीच विषमता और भी बढ़ी है. दूसरी ओर नारियों की पूरी छवि को एक फ्रेम में कैद करने की कोशिश की जा रही है. पूंजीवादी खेमे से जुड़ कर मीडिया भी स्त्रियों के स्वरूप को ही बदलने में जुटा है. स्त्रियों को बाजार(उपभोग) की वस्तु मान हर तरह के विज्ञापन में इस्तेमाल किया जा रहा है.

इस नव-पूंजीवादी चाल को एडवा कभी भी कामयाब होने नहीं देगी. औरतों को पुरुषों के साथ मिल कर समानता की लड़ाई लड़नी होगी, पर किसी भी परिस्थिति में समानता के मुद्दे पर समझौता नहीं करें.

उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान देश में महिलाएं दोहरी जिम्मेवारी का निर्वहन कर रही है. बच्चों की देख-भाल से लेकर बुजुर्गो तक की देख-भाल करती है और घर के बाहर की भी काम करती है. देश में सामाजिक सुरक्षा योजना चलायी जा रही है, लेकिन 90 प्रतिशत महिलाओं को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.

विधवाओं को मात्र 300 रुपये पेंशन देने का प्रावधान है, पर सभी को नहीं दिया जाता है. एक दूसरे विधवा को पेंशन देने के लिए पहली महिला के मरने का इंतजार किया जाता है. उन्होंने कहा कि आजादी के 66 सालों के बाद भी हजारों महिलाएं बेघर हैं और उन्हें इंदिरा आवास तक नहीं मिल पा रहा है.

आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं व आशा से एक के बजाय 36 काम लिये जा रहे हैं, लेकिन न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जा रही है. कांग्रेस व भाजपा सरकार को गरीब महिलाओं का काम नहीं दिखता है.

विकास के पैसे भ्रष्टाचार पर खर्च हो रहे हैं. बिहार में सिलिंग के 23 लाख एकड़ जमीन पड़े हैं, पर भूमिहीनों के बीच वितरण नहीं किया जा रहा है. जबकि, इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है. भूमि सुधार कानून लागू कर बंगाल में 12 लाख एकड़ जमीन का वितरण किया जा चुका है.

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